हाईकोर्ट का फैसला, मंत्री-विधायक और पार्टी नेता की सिफारिश पर नहीं होंगे तबादले

Tuesday, Dec 05, 2017 - 12:44 PM (IST)

शिमला: हिमाचल प्रदेश में कर्मचारियों के तबादले मंत्री व विधायक की सिफारिश पर नहीं होंगे। उच्च न्यायालय ने अर्थ एवं सांख्यिकी विभाग के कर्मचारी के तबादले को लेकर हुई सुनवाई के दौरान यह व्यवस्था दी है। न्यायालय ने व्यवस्था दी कि विभागों के प्रमुख विधायकों व मंत्रियों की सिफारिशों पर तबादले करने की बजाय इसे यह कहते हुए वापस भेज सकते हैं कि इसे क्यों स्वीकार नहीं किया जा सकता। इस मामले की सुनवाई के दौरान अर्थ एवं सांख्यिकी विभाग के कर्मचारी के शिमला से कुल्लू को किया गया तबादला आदेश निरस्त कर दिया। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश धर्म चंद चौधरी व न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान ये आदेश जारी किए।


खंडपीठ ने अपने आदेशों में यह भी कहा कि प्रशासनिक ट्रिब्यूनल ऐसे मामलों में विभागीय सचिव के समक्ष रिप्रैजैंटेशन करने को कहकर भी अपनी शक्तियों से पीछे नहीं हट सकता। उल्लेखनीय है कि अर्थ एवं सांख्यिकी विभाग के कर्मचारी के तबादले के मामले में ट्रिब्यूनल ने कर्मचारी को विभागीय सचिव के समक्ष रिप्रैजैंटेशन करने को कहा था। संबंधित कर्मचारी का तबादला शिमला से कुल्लू कसुम्पटी के विधायक अनिरुद्ध सिंह के यू.ओ. नोट के बाद मुख्यमंत्री के डी.ओ. पर विभाग ने किया था। विधायक की सिफारिश को मुख्यमंत्री ने स्वीकार करते हुए कार्यालय से कर्मचारी का तबादला करने को लेकर डी.ओ. नोट बीते 23 मई को जारी किया। 


कर्मचारी ने न्याय के लिए प्रशासनिक ट्रिब्यूनल में लगाई गुहार
इसके बाद संबंधित कर्मचारी ने न्याय के लिए प्रशासनिक ट्रिब्यूनल में गुहार लगाई। ट्रिब्यूनल ने कर्मचारी को विभागीय सचिव के समक्ष अपना रिप्रैजैंटेशन देने को कहा। इसके बाद कर्मचारी इस मामले को लेकर उच्च न्यायालय में पहुंचा। मामले की सुनवाई में साफ व्यवस्था दी गई कि किस कर्मचारी को कहां तैनाती देनी है, यह तय करना कार्यपालिका का जिम्मा है। आदेशों में कहा कि पार्टी कार्यकत्र्ताओं और ऐसे लोगों जिनका कार्यपालिका अथवा विधायिका से कोई सरोकार नहीं है, उनके कहने पर भी कोई तबादला नहीं किया जाना चाहिए। न्यायालय ने कहा कि विधायिका अथवा कार्यपालिका से सरोकार न रखने वाले लोगों को किसी भी कर्मचारी की तैनाती अथवा तबादले को लेकर सिफारिश करने का कोई अधिकार नहीं है।