खनन माफिया पर जल्द लगाम न लगी तो हो सकती है बड़ी तबाही

Tuesday, Dec 31, 2019 - 04:33 PM (IST)

ऊना (अमित): ऊना जिले में खननकारियों के हौसले इतने बुलंद है कि यह लोग करोड़ों की सरकारी सम्पति को तो नुक्सान पहुंचा ही रहे है। वहीं जिला ऊना को बड़ी तबाही की ओर ले जा रहे है। दरअसल वर्ष 1988 में ऊना जिला में बहने वाली सोमभद्रा (स्वां) नदी में आई प्रलयंकारी बाढ़ ने भयंकर तबाही मचाई थी। इस बेलगाम नदी के बेग को बांधने के लिए वर्ष 1998 में स्वां तटीकरण का कार्य शुरू हुआ। 1998 से लेकर अब तक स्वां नदी और इसकी सहायक खड्डों के तटीकरण के लिए चार चरणों में करीब 1400 करोड़ रूपए स्वीकृत हुए हैं, जिसमें से करीब 1100 करोड़ रुपए अब तक खर्च किए जा चुके है। स्वां नदी और खड्डो के तटीकरण से जहां ऊना जिला बाढ़ मुक्त बनने की ओर अग्रसर है।

वहीं हजारों हैक्टेयर भूमि भी रिक्लेम हुई है। लेकिन खनन माफिया अपनी जेबें भरने की खातिर जिला ऊना की इस सबसे बड़ी योजना को नुक्सान पहुंचा रहा है। दरअसल ऊना जिला में बहने वाली स्वां नदी से खनन सामग्री उठाने के लिए खनन विभाग द्वारा दर्जनों लीज आबंटित की गई है वहीं क़ानूनी लीज की आड़ में कई स्थानों पर अवैध खनन भी जोरशोर से चल रहा है। स्वां नदी में घुसने के लिए खननकारियों द्वारा कई स्थानों पर तटबांधों से ऊपर से ही रास्ते बना लिए है जिन पर से रोजाना खनन सामग्री से भरे सैंकड़ों बड़े-बड़े टिप्पर गुजरते है। वहीं कई स्थानों पर तो खननकारी बड़ी-बड़ी मशीने लगाकर तटबंधों के बिलकुल साथ ही खनन सामग्री उठा रहे है जबकि मशीनों से खनन पर पूरी तरह से प्रतिबंध है।

खननकारियों की इसी मनमानी के चलते कई जगह पर तो तटबांध टूट गई है जबकि कई स्थानों पर टूटने की कगार पर पहुँच चुके है। ऊना के पूर्व पार्षद ने इस पूरे मामले को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के समक्ष उठाने का मन बना लिया है। पूर्व पार्षद नवदीप कश्यप की माने तो अगर फिर भी इस पर लगाम न लगी तो वो हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर करेंगे ताकि जनता के करोड़ों रूपए को बर्बाद होने से बचाया जा सके।
 

kirti