Special Report: ऐसा भी है HP: दिग्गज नेताओं के इन जिलों में पशुओं के साथ खाते, पीते, सोते हैं लोग

Thursday, Feb 06, 2020 - 02:08 PM (IST)

शिमला: ना जाने क्या हो गया हिमाचल की सरकार और राजनेताओं को। अपनी ख्याती चमकाने के चक्कर में जनाब कुछ भी कह जाते हैं। बिना ये सोचे की जमीन पर हाल क्या है। ऊंचे ओहदों पर बैठे उन लोगों के लिए छोटे से छोटा मौका भी जश्न का जरिया बन जाता है, जिसका मकसद स्टेज से सिर्फ ये कहना होता है कि ‘मेरा हिमाचल बदल रहा है और इसे हमने बदला’। इसके आलवा अगर कोई दूसरी बात हो भी जाए, तो वो है विपक्ष पर हमला। लेकिन अगर इन हवाई, गगनचुंबी दावों से नीचे नजर डालें तो हालात शर्मनाक हैं। ऐसे हालातों की तस्वीरें तो लाखों मिल जाएंगी, लेकिन पंजाब केसरी ने इसकी छोटी सी लिस्ट तैयार की है जिसकी झलक हम आपको दिखाने वाले हैं।

चौंकाने वाली बात है कि देश-प्रदेश BJPमय है, प्रदेश के चारों सांसद BJP के हैं और सरकार भी BJP की, लेकिन फिर भी शर्म जिस बात पर आती है, वो ये है कि सबसे बुरे हालात प्रदेश BJP अध्यक्ष राजीव बिंदल के गृह जिला के हैं। जो पहले विधानसभा अध्यक्ष थे। इन हालातों पर एक-एक कर नजर डालें तो सबसे पहले नाम आता है। नाहन के दिहाड़ी मजदूरी कर परिवार पालने वाले है हीरा सिंह का। हीरा के दोनों बेटे दिव्यांग हैं और पत्नि मानसिक रोगी, चार सदस्यों के इस परिवार में तीन मरीज हैं लेकिन फिर ये परिवार BPL में दर्ज नहीं है। इतना ही नहीं इनके पास रहने के लिए सही घर तक नहीं है... नीचे क्लिक कर देंखे पूरी रिपोर्ट...

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अब दूसरा मामला भी पांवटा साहिब का ही है, जहां निर्मला नाम की महिला टूटी टांग सहारे दो वक्त की रोटी का जुगाड़ कर रही है। निर्मला के पास रहने के लिए कच्चा घर है जो कब गिर जाए ये पता नहीं। लेकिन लानत है बयानवीरों पर जो आंखें बंद कर दावे करते हैं। खैर आप देखिए प्रदेशाध्यक्ष बिंदल और सांसद सुरेश कश्यप के गृह जिला की हालत... जहां बुढ़ापा टूटी टांग के सहारे जूठे बर्तनों में रोटी तलाश रहा है... और जनता के ‘चौकीदार’ बेखबर हैं...
 

क्लिक कर देंखे पूरी रिपोर्ट...  टूटी टांग के सहारे जूठे बर्तनों में रोटी तलाश रहा बुढ़ापा... बेखबर हैं जनता के ‘चौकीदार’

तीसरी शर्मसार करने वाली तस्वीर भी पांवटा साहिब से ही है। कौन कहता है कि हिमाचल गरीब नहीं है? कौन कहता है कि हिमाचल तरक्की कर रहा है? अरे कफोटा के नेडा गांव की विधवा महिला गीता देवी की हालत देख लीजिए, कलेजा ना फट जाए, तो कहना। वक्त ने इस परिवार को ऐसी गहरी मार मारी है कि जो ना दिखती है और ना ही उसका दर्द होता है, लेकिन फिर भी इंसान पल-पल मरता है। यहां गरीबी का आलम ये है किसी रात तो इस परिवार को भूखे पेट ही सोना पड़ता है... नीचे क्लिक कर जानें पूरा मामला...

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उन्हें शायद शर्म ना आए, लेकिन हमें बताते हुए शर्म आ रही है कि अगला मामला फिर पांवटा साहिब का ही है और इस मामले ने तो गरीबी की सारी हदें ही तोड़ दी हैं। पांवटा साहिब के रामनगर में रहने वाला फत्तू राम का परिवार बेहद गरीबी में अपनी जिंदगी जी रहा है... इतनी गरीबी में कि जहां खाना बनाता है वहीं खुद सोता भी है और उसी में पशुओं को भी बांधता है। अब भला इससे गरीब कौन हो सकता है कि उसी कमरे में सोए, खाना खाए और पशुओं को भी बांधे। शर्मसार है लेकिन देखिए पूरी असलियत...

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इन सबके बीच एक तस्वीर ऐसी भी दिखती है जो बेहद चौंकाने वाली है। गरीब तो गरीब है उन्हें ना किसी सरकारी स्कीम का फायदा मिलता है और ना ही योजना का। लेकिन कई बार जो गरीब सरकारी स्कीम में होता है उसे भी उससे बाहर का रास्ता दिखा जाता है। ये मामला भी कुछ ऐसा ही है। देखिए पूरी रिपोर्ट...

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अब सरकार की दम तोड़ती योजनाओं की एक और असलियत देख लीजिए, जहां आकर तमाम योजनाएं फेल हो जाती हैं। बात हो रही है सिरमौर के पोटा मानच की 70 वर्षीय विधवा महिला दुर्गी देवी की, जिसके घर ना बिजली है, ना उसके पास पक्का घर है, जो है उसकी भी छत टपकती है, बाकी चुल्हे से उठ रहे धुएं में उज्जवला योजना की रोशनी मद्धम पड़ जाती है। देखिए बुजुर्ग की हालत की पूरी असलियत...

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ये हालत तो सिर्फ सिरमौर की थी, लेकिन दूसरे जिलों की भी कुछ ठीक नहीं है। अब आप सीधे पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल, BJP सांसद और केंद्रीय राज्यमंत्री के अनुराग ठाकुर के गृह जिला हमीरपुर चलिए। यहां आप नगर परिषद के वार्ड नंबर एक में जाएंगे तो करतार चंद का परिवार मिलेगा। गरीब करतार अपने परिवार समेत झोंपड़ी में रहते हैं, वजह ये है कि तीन साल पहले वन विभाग ने उनका घर ये कहकर गिरा दिया था कि ये घर अतिक्रमण की श्रेणी में आता है... तब से लेकर आज तक करतार को घर नहीं मिला और ना ही अधिकारी और नेता-मंत्री सुनते हैं... देखिए पूरी रिपोर्ट...

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अब अगली दर्दभरी तस्वीर जिला कांगड़ा के ज्वाली से है जहां वक्त ने एक महिला पर ऐसा हंटर चलाया कि चमड़ी के साथ दमड़ी भी उधेड़ ली। बेचारी का नाम स्वर्णा है... लेकिन किस्मत में कौड़ी भी नहीं है... पति पहले ही स्वर्ग सिधार चुके थे... इसके बाद छोटे बेटे की सांप के काटने से मौत हो गई... और फिर परिवार की जिम्मेदारी बड़े बेटे के कंधों पर आ गई... बेचारे की एक टांग टूटी थी, फिर भी कमाई के लिए ड्राइविंग शुरू की। जैसे-तैसे उसने बहन की शादी की, लेकिन इस बीच अपनी दवाई पर ध्यान नहीं दे पाया, लिहाजा शरीर में इंफेक्शन बढ़ने से उसकी मौत हो गई। दास्तां दर्द भरी है लेकिन अफसोस की ये किसी को नजर नहीं आती, खैर आप देखिए और इसे इतना शेयर करिए कि जिम्मेदारों के आंख और कान दोनों खुल जाएं...

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अफसोस की बात है... कि शर्मनाक हालात दिग्गजों के ही गृह जिला में है, अब मामला ऊना का है जहां से कैबिनेट मंत्री वीरेंद्र कंवर, BJP पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सतपाल सत्ती, नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री हैं। अफसोस है कि देश चांद पर पहुंच रहा है... 5G जमाने की बातें हो रही हैं... लेकिन यहां आम आदमी के पास घर तक नहीं है... मामला कुटलैहड़ विधानसभा के कोटला खुर्द का है... जहां बीना कुमारी नाम की असहाय महिला बेहद दर्द भरी स्थिति में अपना परिवार पालने को मजबूर है... घर के हालात कैसे होंगे... आस-पास कैसा होगा... ये इस रिपोर्ट में देखिए...

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अब अगली शर्मसार करने वाली हकीकत भी ऊना की ही है। मामला ऊना जिला मुख्यालय से महज सात किलोमीटर दूर का है जहां गरीब नरेश का परिवार इतनी गरीबी में रहता है कि, जहां ये लोग सोते हैं, वहीं पशु भी रहते हैं, उसी कमरे में इनकी भेड़ बकरियां मल-मूत्र करती है और उसी में ये लोग खाना बनाते और खाते हैं... बयानवीरों की ये हकीकत हद से ज्यादा शर्मसार करनी वाली है, लेकिन फिर भी एक बार देखना तो बनता है...

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Prashar