MC Election: क्या शिमला में चलेगा मोदी मैजिक!

Tuesday, Jun 13, 2017 - 10:59 AM (IST)

शिमला: एम.सी. शिमला के चुनाव में क्या मोदी मैजिक चलेगा? ये तो 17 जून को रिजल्ट आने के बाद ही पता चलेगा लेकिन लगातार 26 साल तक कांग्रेस और 5 साल तक माकपा के दुर्ग रहे टाऊन हाल को भेद पाना भारतीय जनता पार्टी के लिए आसान नहीं होगा। टाऊन हाल में भगवा फहराने के लिए भाजपा को कम से कम 18 वार्ड फतह करने होंगे। यदि भाजपा ऐसा करने से चूक गई तो कांग्रेस या फिर कांग्रेस-माकपा को मिलकर शहर की सरकार बनाने में कामयाबी मिल सकती है।


जनता में मोदी सरकार और कांग्रेस सरकार के खिलाफ रोष
इन दिनों शहर के गलियारों में चर्चा यह है कि क्या दिल्ली के एम.सी. चुनाव की तर्ज पर शिमला में भी मोदी लहर चलेगी? यदि ऐसा होता है तो कांग्रेस-माकपा का सफाया तय है लेकिन जानकारों की मानें तो एम.सी. चुनाव में मोदी लहर चले, अब तक ऐसे कोई कारण नजर नहीं आ रहा क्योंकि केंद्र सरकार में शहर की जनता में खासकर स्मार्ट सिटी के मुद्दे को लेकर मायूसी है। शिमला को स्मार्ट सिटी न बनाए जाने से शहर की जनता में मोदी सरकार और कांग्रेस सरकार के खिलाफ रोष है। इसी मुद्दे को माकपा भी इन चुनावों में मुद्दा बना रही है।


भाजपा के तीखे चुनाव प्रचार के बाद होलीलॉज में भी हलचल 
जानकारों की मानें तो यदि हाल ही में शिमला दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिमला को स्मार्ट सिटी बनाने को लेकर कुछ घोषणा करतें तो भाजपा को इन चुनाव में इसका लाभ मिल सकता था लेकिन मोदी ने उनको तब भी निराश किया है। फिर भी भाजपा की दावेदारी को कम नहीं आंका जा सकता। भाजपा इन चुनावों में जीत के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। पार्टी ने शिमला में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा सरीखे नेता चुनाव प्रचार में उतार रखे हैं। यही नहीं पार्टी ने चिन्ह पर चुनाव न होने के बावजूद अपना संकल्प पत्र जारी किया है। पार्टी के लिए इसे बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है। भाजपा चुनाव प्रचार के दौरान वामपंथी शासित एम.सी. शिमला और सूबे की कांग्रेस सरकार की नाकामियों को लेकर जनता से वोट-स्पोर्ट की अपील कर रही है। भाजपा के तीखे चुनाव प्रचार के बाद होलीलॉज में भी हलचल देखी जा सकती है। वीरभद्र सिंह ने प्रत्येक वार्ड के कद्दावर पार्टी नेताओं को होलीलॉज बुलाकर उन्हें चुनावी टिप्स देने शुरू कर दिए हैं क्योंकि ये चुनाव वीरभद्र सिंह के लिए साख का सवाल बने हुए हैं। अब कांग्रेस के सभी प्रत्याशियों की नजरें करिश्माई नेता वीरभद्र सिंह के चुनाव प्रचार में उतरने पर टिकी हैं।