विश्वकर्मा मंदिर में उमड़ा श्रद्धा और आस्था का जनसैलाब (Watch Video)

Monday, Oct 28, 2019 - 02:48 PM (IST)

ऊना (अमित शर्मा) : आज पूरे देश में सृष्टि के रचयिता भगवान् विश्वकर्मा जी को नमन किया जा रहा है। जिला ऊना में विश्वकर्मा दिवस के अवसर पर भगवान् विश्वकर्मा मंदिरों में दिनभर श्रद्धालुओं का खूब जमावड़ा उमड़ा। वहीं संतोषगढ़ नगर में स्थित सुप्रसिद्ध प्राचीन विश्वकर्मा मंदिर में हजारों की तादाद में श्रद्धालुओं ने नतमस्तक होकर भगवान विश्वकर्मा से व्यापार में लाभ की कामना की।1948 में निर्मित इस विश्वकर्मा मंदिर में हिमाचल ही नहीं बल्कि पंजाब तथा हरियाणा से भी श्रद्धालु हर वर्ष मंदिर में पहुंचकर बाबा विश्वकर्मा जी का आर्शीवाद प्राप्त करते हैं।

इस मंदिर की स्थापना हकीम प्रताप सिंह नाम के श्रद्धालु द्वारा की गई थी। तब से लेकर आज तक यह मंदिर हिमाचल, पंजाब तथा हरियाणा से आने वाले लाखो श्रधालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है। आज विश्वकर्मा दिवस के अवसर पर मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया गया था इस अवसर पर मंदिर कमेटी द्वारा मंदिर परिसर में धार्मिक विषयों पर आधारित प्रदर्शनिया भी लगाई गई थी। विश्वकर्मा दिवस के उपलक्ष्य में हजारों की तादाद में श्रद्धालु सुबह से ही मंदिर में पहुंचना शुरू हो गए थे तथा दूर दराज क्षेत्रो से आये श्रधालुओं ने भगवान् विश्वकर्मा जी के दर्शन कर आर्शीवाद प्राप्त किया।

श्रद्धालुओं के अनुसार भगवान् विश्वकर्मा जी के इस मंदिर में जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से मुराद मांगता है भगवान् उसकी सभी मनोकामनाए पूर्ण करते हैं। वहीं मंदिर कमेटी के सदस्य ने बताया कि इस मंदिर में हर वर्ष हजारो श्रद्धालु भगवान् विश्वकर्मा जी के दर्शनों के लिए आते हैं। उन्होंने कहा कि विश्वकर्मा दिवस के दिन सभी कारीगर भगवान् विश्वकर्मा जी की पूजा करने के उपरान्त अपनी मशीनों की पूजा करते है तथा उसके बाद ही वह अपना काम शुरू करते है।

वहीं अगर हम अपने प्राचीन ग्रंथो उपनिषद एवं पुराण आदि का अवलोकन करें तो पायेगें कि आदि काल से ही विश्वकर्मा शिल्पी अपने विशिष्ट ज्ञान एवं विज्ञान के कारण ही न मात्र-मानवों अपितु देवगणों द्वारा भी पूजित और वंदित है। भगवान विश्वकर्मा के आविष्कार एवं निर्माण कोर्यों के सन्दर्भ में इन्द्रपुरी, यमपुरी, वरुणपुरी, कुबेरपुरी, पाण्डवपुरी, सुदामापुरी, शिवमण्डलपुरी आदि का निर्माण इनके द्वारा किया गया है। पुष्पक विमान का निर्माण तथा सभी देवों के भवन और उनके दैनिक उपयोगी होनेवाले वस्तुएं भी इनके द्वारा ही बनाया गया है ! कर्ण का कुण्डल, विष्णु भगवान का सुदर्शन चक्र, शंकर भगवान का त्रिशुल और यमराज का कालदण्ड इत्यादि वस्तुओं का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने ही किया है।

Edited By

Simpy Khanna