भगवान रघुनाथ की रथयात्रा में उमड़ा आस्था का जनसैलाब, 40 दिन पहले होली उत्सव का हुआ आगाज

punjabkesari.in Saturday, Feb 05, 2022 - 04:46 PM (IST)

कुल्लू (दिलीप) : कोरोना काल में कुल्लू के ऐतिहासिक ढालपुर के रथ मैदान में शनिवार को बसंत पंचमी का त्यौहार हर्षोल्लास से मनाया गया। जिसमें भगवान रघुनाथ की नगरी सुल्तानपुर से अधिष्ठाता रघुनाथ की पालकी को वाद्ययंत्रों की थाप के साथ शोभायात्रा रथ मैदान में पहुंची। जहां पर भगवान रघुनाथ को रथ में रघुनाथ जी को बैठाने के बाद विधिवत  पूजा-अर्चना करने के बाद राज परिवार के सदस्यों ने रथ के चारों और 9 बार परिक्रमा की। इसके बाद जय श्रीराम के नारों से श्रद्धालुओं ने रघुनाथ के रथ को खींच कर उनके अस्थायी शिविर तक पहुंचाया। जहां पर समूची घाटी जय श्री राम से गूंज उठी। भगवान रघुनाथ की रथयात्रा में आस्था का जनसैलाब उमड़ा।

ढालपुर मैदान में हजारों की संख्या में श्रद्वालुओं ने भाग लेकर भगवान रघुनाथ के दर्शन किया। प्रतीक रूप में राम, लक्ष्मण, भरत और हनुमान भी इस मौके पर उपस्थित थे। हनुमान की भूमिका बैरागी समुदाय के एक व्यक्ति द्वारा निभाई जाती है। रंग-बिरंगे व अधिकतर पीले वस्त्रों से सजे हुए लोगों ने बसंत पंचमी की इस बेला को करीबी से निहारा। बसंत पंचमी पर हजारों की संख्या में आस्था और श्रद्धा का सैलाब रथ मैदान में उमड़ा। रघुनाथ जी की एक झलक पाने के लिए भक्त लंबी कतारों में देर तक खड़े रहे। शोभयात्रा से कुल्लू में बसंत पंचमी का आगाज होने के साथ ही रघुनाथपुर की होली भी शुरू हो गई है। 

भगवान रघुनाथ के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह के कहा कि जब भगवान श्रीराम वनवास के लिए गए थे तो भरत उन्हें मनाने गुरु वशिष्ठ जी के साथ वन में गए थे। भगवान श्री राम ने जब देखा कि कुछ लोग उनकी तरफ आ रहे है तो उन्होंने पवन पुत्र हनुमान को उनके बारे में पता लगाने के लिए भेजा। हनुमान ने बताया कि गुरु वशिष्ठ के साथ भरत आए हैं। फिर श्री राम भरत से गले मिले और खड़ाऊं उन्हें दीं तथा वापस भेज दिया। उन्होंने कहाकि पूरे देश में होली उत्सव मार्च माह में मनाया जाएगा लेकिन कुल्लू जिला में 40 दिन रघुनाथ जी के चरणों में चढ़ेगा।

40 दिन तक प्रतिदिन रघुनाथपुर में होली के गीत गाए जाएंगे और भगवान रघुनाथ जी के चरणों में गुलाल चढ़ाया जाएगा क्योंकि महंत राजा के गुरु थे। इसलिए पूरे आयोजन में आज तक महंत समुदाय के लोग इसमें बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं। गुरु वशिष्ठ की भूमिका भी महंत निभाते हैं तथा हनुमान जी का रूप भी महंत ही धारण करते हैं। उत्सव में हनुमान द्वारा लगाए गए सिंदूर को शुभ माना जाता है। इस मौके पर शामिल हुए श्रद्धालु भी काफी उत्साहित दिखे। उनका कहना है कि वो इस समय का इंतजार करते हैं जब भगवान रघुनाथ को रथ पर बिठाकर उनके अस्थायी शिविर तक लाया जाता है। उनका कहना है कि यहां का माहौल काफी भक्तिमय रहता है जहां राम-भरत मिलाप की परम्परा भी निभाई जाती है।


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Content Writer

prashant sharma

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