मास कम्युनिकेशन डिग्रीधारक रामलाल के पर्यावरण प्रेम को सलाम, 12 वर्षों में लगा दिए 20 हजार पौधे
punjabkesari.in Saturday, Jul 29, 2023 - 08:47 PM (IST)

बैजनाथ (विकास बावा): कांगड़ा-मंडी की सीमांत चौहार घाटी के गांव सुधार निवासी रामलाल ने पौधारोपण के क्षेत्र में एक मिसाल कायम की है। पेशे से मास कम्युनिकेशन डिग्री धारक के मन में पर्यावरण प्रेम का ऐसा जुनून जागा कि पौधारोपण को उन्होंने अपने जीवन का हिस्सा बना लिया और 12 वर्षों में तकरीबन 20000 पौधे लगा चुके हैं। आरंभिक शिक्षा के बाद स्नातक और उसके उपरांत शिमला विश्वविद्यालय से मास कम्युनिकेशन में डिग्री प्राप्त की। अच्छी नौकरी की पेशकश भी आई मगर ठुकरा दिया और गांव लौट आए। जोगिंद्रनगर के घटासनी से लेकर टिक्कन तक करीब 500 और सुधार घाटी के तमाम इलाकों में अखरोट के 2200 पौधे लगाए हैं। कुछेक पौधे 8 से 10 वर्ष की आयु के हो चुके हैं। घाटी के तमाम जंगलों की खाली पड़ी जगहों पर भी 12000 देवदार और चीड़ के अलावा अन्य पेड़ लगाए हैं।
रामलाल का ये है सपना
रामलाल कहना है कि घाटी की जलवायु देवदार और अखरोट जैसे पौधों के लिए उपयुक्त है। अखरोट के पौधे की जड़, तना, छाल, पत्ते, टहनियां,फल और यहां तक की अखरोट का बाहरी कठोर छिलका भी काम आता है। लिहाजा वे इसे मनी ट्री की संज्ञा देते हैं। इस काम के लिए उन्होंने खुद की नर्सरी तैयार की है, जिसमें वह खुद पौधे तैयार करते हैं। रामलाल बताते हैं उनका यह सपना है कि कांगड़ा जिला की छोटा भंगाल मंडी की चौहार घाटी 'नट वैली' के नाम से जानी जाए। शुरूआत में वे कई कई दिन नर्सरी से बाहर नहीं निकलते थे लिहाजा लोगों ने उन्हें डिप्रेशन का मरीज तक कह डाला हालांकि उनकी माता पत्नी और दोनों बेटे इस काम में पूरा सहयोग देते हैं। घाटी की पहाड़ी ढ़लानों को हराभरा बनाए रखने के दृष्टिगत ही वे ऐसा कर रहे हैं। इस काम के लिए रामलाल को बीते वर्ष वन मंडल जोगिंदर नगर द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है। युवाओं को प्रेरणा देते हुए वे कहते हैं कि अधिक से अधिक पेड़ लगाने से ही हमारा पर्यावरण सुरक्षित रह सकता है।
बहुपयोगी है अखरोट का पेड़
अखरोट के पेड़ की छाल से सौंदर्य प्रसाधन सामग्री, तने से इमारती लकड़ी, जड़ से दवाइयां, पत्तों से पेट और मुखरोग की दवाएं और जड़ से कई प्रकार के लाभकारी तेल निकाले जाते हैं। अमूमन इसका पेड़ गोलाकार फैला होता है लिहाजा अच्छी छाया और ठंडक प्रदान करता है।
पर्यावरण सुरक्षा का ऐसे आया ख्याल
दिन-प्रतिदिन लोगों की जरूरतों से जंगलों का स्तर घटता चला गया। इस बात की चिंता सताने लगी कि यदि वन ही नहीं रहेंगे तो पानी नहीं होगा, पानी नहीं होगा तो जीवन नहीं होगा। इंसान अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए जंगलों का कटान तो कर देता है लेकिन पौधारोपण में काफी फिसड्डी साबित होता है। हालांकि पौधारोपण से बड़ा कोई पुण्य नहीं है।
सड़क किनारे इसलिए रोपे पौधे
सड़क के किनारे अखरोट के पौधे रोपने की प्रमुख वजह यही रही कि जब पौधे बड़े हो जाएंगे तो हरियाली के साथ-साथ फल भी देंगे। लिहाजा कोई भी राहगीर इसका उपयोग कर सकता है। हालांकि यह पौधा अपने यौवन तक आने में 8 से 10 वर्ष का समय लेता है लेकिन इस पौधे की आयु भी सैंकड़ों वर्ष होती है। सबसे बड़ा फायदा सड़क के किनारे पहाड़ी ढलान ऊपर भूमि कटाव भी रुकेगा।
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