20 वर्षों से नहीं लग पाई शहीद की प्रतिमा, पत्राचार तक सिमटी प्रशासन की कार्रवाई

Thursday, Aug 29, 2019 - 06:49 PM (IST)

पालमपुर (संजीव राणा): अशोक चक्र विजेता मेजर सुधीर वालिया के परिजन अपने वीर सपूत की प्रतिमा स्थापित किए जाने का इंतजार कर रहे हैं लेकिन प्रतिमा स्थापित किए जाने को लेकर अभी प्रशासन की कार्रवाई पत्राचार तक ही सिमटी हुई है। वीरवार को शहीद मेजर सुधीर वालिया के 20वें शहादत दिवस पर बनूरी स्कूल में कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें बच्चों ने शहीदों की याद में गीत पेश किए और इस अवसर पर प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया। इस अवसर पर जिला से पहुंचे शहीदों के परिजनों को सम्मानित भी किया गया।

कौन थे मेजर सुधीर वालिया

कारगिल के युद्ध में अपना शौर्य दिखा चुके मेजर सुधीर वालिया को उनके साथियों ने उनकी बहादुरी के लिए रैंबो नाम दिया था। वह 29 अगस्त, 1999 को कुपवाड़ा के जंगलों में आंतकवादियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए थे। 9 साल की आर्मी सर्विस में उन्होंने 15 मैडल प्राप्त किए थे। श्रीलंका में उन्हें शांति दूत के रूप में भी पुकारा जाता था। पेंटागन में 70 देशों के प्रतिनिधि गए थे, उसमें भारत की ओर से उन्होंने टॉप किया था। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उन्होंने भारतीय सेना में 2 बार लगातार सेना मैडल प्राप्त किया था जोकि बहुत कम सैनिकों को मिलता है। जरनल वीपी मलिक के मेजर सुधीर वालिया ने बतौर निजी सहायक के रूप में भी कार्य किया तथा मरणोपरांत उन्हें अशोक चक्र दिया गया। जनरल वीपी मलिक उनके कार्य से इतने प्रभावित थे कि मरणोपरांत 2 बार उनके घर में आ चुके हैं।

20 वर्षों के बाद अब हो रहा गंभीरता से प्रयास : रुलिया राम

शहीद मेजर सुधीर वालिया के पिता रुलिया राम ने कहा कि 20 वर्षों से प्रतिमा स्थापित किए जाने को लेकर आश्वासन ही मिले हैं लेकिन अब लगता है कि इस विषय पर गंभीरता से प्रयास किए जा रहे हैं। इस दौरान शहीद की बहन आशा देवी भी मौजूद रहीं।

पाठ्यक्रमों में शामिल की जाएं शहीदों की वीर गाथाएं : जीएल बतरा

उधर, परमवीर चक्र विजेता कैप्टन विक्रम बतरा के पिता जीएल बतरा ने शहीदों की प्रतिमाएं स्थापित किए जाने के साथ शहीदों की वीर गाथाओं का उल्लेख पाठ्यक्रमों में किए जाने की पैरवी की है। वहीं एसडीएम पालमपुर पंकज शर्मा ने कहा कि सारे मामले की जानकारी सरकार तक पहुंचा दी गई है।

Vijay