मणिकर्ण में फिर तबाही मचा सकती हैं चट्टानें

Saturday, Dec 30, 2017 - 12:26 PM (IST)

कुल्लू: धार्मिक पर्यटन नगरी मणिकर्ण में चट्टानें कभी भी तबाही मचा सकती हैं। 2 साल पहले भी मणिकर्ण में गुरुद्वारे पर गाड़गी की पहाड़ियों से चट्टानें गिरी थीं। इस दर्दनाक हादसे में पंजाब के 7 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी और 11 लोग जख्मी हो गए थे। चट्टान गुरुद्वारे की करीब 6 मंजिलों के लैंटर को तोड़ती हुई सीधे पार्वती नदी में जा गिरी थी। गुरुद्वारे में तबाही मचाने से पूर्व चट्टान ने पहाड़ी में एक गऊशाला सहित एक अन्य मकान को भी नुक्सान पहुंचाया था। घटना के बाद भू-गर्भ विज्ञानियों के दल व एन.डी.आर.एफ. की टीम ने भी गाडग़ी की पहाड़ियों का निरीक्षण किया था। भू-गर्भ विज्ञानियों ने प्रशासन को जारी रिपोर्ट में भविष्य में तबाही रोकने के लिए कई सुझाव दिए थे। 


पहाड़ी में कई चट्टानें अब भी खड़ी हैं जो कभी भी लुढ़क कर तबाही मचा सकती हैं। भू-गर्भ विज्ञानियों के सुझावों पर कोई कार्रवाई व कोई कार्य न होने से मणिकर्ण नगरी पर खतरा बना हुआ है। कई चट्टानें ऐसी भी हैं जो पेड़ों के सहारे टिकी हुई हैं और कभी भी लुढ़क सकती हैं। हवा से जैसे-जैसे पेड़ हिल रहे हैं वैसे-वैसे इनके सहारे खड़ी चट्टानें भी अपनी जगह से हिल रही हैं, ऐसे में इन चट्टानों के गिरने का खतरा बना हुआ है। लोगों का कहना है कि भू-गर्भ विज्ञानियों के सुझावों पर उसी समय कार्य हुआ होता तो आज खतरा टल चुका होता। मणिकर्ण नगरी में लोग आज भी चैन की नींद नहीं सो पा रहे हैं। कभी भी चट्टानें गिरने से तबाही का डर लोगों को सता रहा है। 


हादसे के दौरान कमरे में सो रहे थे श्रद्धालु
मणिकर्ण में 2 वर्ष पूर्व चट्टानें गिरने से हुए हादसे में मारे गए और जख्मी हुए लोग पंजाब के थे। वे लोग गुरुद्वारे में दर्शन करने आए थे। जिस वक्त पहाड़ी से चट्टानें गिरीं, उस समय वे लोग गुरुद्वारे के कमरे में आराम फरमा रहे थे और अचानक पहाड़ी से लुढ़की भीमकाय चट्टानों की जद्द में आ गए। इस दर्दनाक हादसे के बाद प्रशासन ने डैंजर जोन घोषित करते हुए गुरुद्वारे के दाईं तरफ वाले हिस्से को सील कर दिया था। उस हिस्से में लोगों व श्रद्धालुओं की आवाजाही पर रोक लगा दी थी।