मंडी-पठानकोट और शिमला-पठानकोट NH पर परेशान हो रहे यात्रियों के लिए राहत की खबर

Sunday, Aug 19, 2018 - 09:43 AM (IST)

मंडी/हमीरपुर (मनोज/ कुलभूषण/हुकुम): छोटे वाहनों के लिए शिमला-पठानकोट वाया हमीरपुर राष्ट्रीय उच्च मार्ग-103 खुल गया है। छोटे वाहनों में कार-जीप आदि व दोपहिया वाहनों के लिए शनिवार शाम से टिक्कर के आगे मोरसू के पास कुनाह खड्ड पर बाधित सड़क मार्ग को खोल दिया गया, वहीं 20 अगस्त से इस सड़क मार्ग से बसें व 24 अगस्त से लोडिड ट्रक भी गुजर सकेंगे। पिछले सप्ताह भारी बारिश के बाद कुनाह खड्ड पर सड़क धंसने से यह नैशनल हाईवे बाधित हो गया था, जिस कारण वाहनों के लिए भोटा से वाया ताल-कोहली होकर वैकल्पिक व्यवस्था की गई थी। हालांकि यह सड़क मार्ग संकरा होने के कारण वाहन चालकों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

उधर, 3 सप्ताह से यातायात के लिए बंद पठानकोट-मंडी एन.एच. कोटरोपी के पास रविवार को बहाल हो जाएगा। शनिवार शाम को कोटरोपी मार्ग को बहाल करने के लिए लोक निर्माण विभाग एन.एच. विंग ने अपने वाहन आर-पार किए और पुरानी ट्रेस ढूंढ निकाली। प्रशासन का कहना है कि रविवार को कोटरोपी मार्ग का निरीक्षण किया जाएगा जिसके बाद मार्ग को यातायात के लिए बहाल कर दिया जाएगा। डी.सी. मंडी ऋग्वेद ठाकुर के अनुसार रविवार को कोटरोपी मार्ग का निरीक्षण किया जाएगा जिसके बाद इसे यातायात के लिए बहाल कर दिया जाएगा। उधर, शिमला-पठानकोट वाया हमीरपुर राष्ट्रीय उच्चमार्ग-103 पर वाहन चालकों को जानकारी देने के लिए हालांकि होमगार्ड के जवानों की ड्यूटी लगाई गई है तथा साइन बोर्ड भी लगाए गए हैं लेकिन रात्रि के समय अनजान वाहन चालकों को परेशान होना पड़ रहा था। 

एन.एच.-103 के अधिशासी अभियंता जगदीश कानूनगो ने बताया कि कुनाह खड्ड पर वाहन चालकों की सुविधार्थ अस्थायी पुलिस चौकी की व्यवस्था कर 24 घंटे पुलिस कर्मियों की तैनाती की मांग की गई है ताकि वाहन चालकों को कोई परेशानी पेश न आए। वहीं पठानकोट-मंडी एन.एच. पर मनाली और कुल्लू से धर्मशाला की तरफ जाने वाले यात्रियों और वाहन चालकों में विवेक, सिन्धु, राज व बालक राम कहते हैं कि हम मंडी से 28 किलोमीटर दूर पधर तक आ गए हैं लेकिन मंडी से लेकर यहां तक किसी ने भी नहीं बताया कि यहां से रास्ता खराब है और आप अन्य सुरक्षित मार्ग से होकर धर्मशाला पहुंच सकते हैं। उन्होंने बताया कि प्रशासन बेवजह यात्रियों को बिना जरूरत के खतरे भरे रास्तों में उलझा रहा है। 

चालकों ने बताया कि मार्ग में कहीं पर भी दिशा बताने वाला कर्मी तैनात नहीं किया गया है जिसके कारण वे कहीं ङ्क्षलक रोड पर कई किलोमीटर चले गए थे जहां से उन्हें वापस हटना पड़ा। अन्य वाहन चालकों श्रवण सिंह, बादल, लाभ सिंह, नानक, विचित्र सिंह तथा पंकज ने बताया कि सड़क मार्ग पूरी तरह से जानलेवा हो चुका है। वहीं पर्यटक सोनू का कहना था कि वैकल्पिक मार्ग पर यहां सिग्नल भी गायब हो जाता है जिससे मोबाइल से दिशा जानना भी मुश्किल हो जाती है। मनाली से पठानकोट जा रहे वसीम ने कहा कि मंडी में पूछने पर पता चला कि पधर से वाहनों को डायवर्ट कर भेजा जा रहा है। उन्होंने कहा कि आगे के रास्ते की कोई जानकारी नहीं है। 

मंडी-पठानकोट एन.एच. पर घटासनी और पधर में रास्ता बाधित होने की सूचना देने से अच्छा कि मंडी में ही चालकों को बता दिया जाता। वहीं कोटरोपी के पास इस वैकल्पिक मार्ग के आरंभ या बीच में किसी भी प्रकार का सूचना बोर्ड नहीं है जो मार्ग की सही दिशा बताने के लिए पर्याप्त हो। मार्ग के बीचोंबीच बरोट व रोपा के लिए भी लिंक रोड है इसलिए मार्ग में किसी भी मानचित्र की व्यवस्था न होने के कारण वाहन चालकों को  कई बार भटकना पड़ता है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में बीते दिनों के दौरान हुई बारिश की वजह से अभी भी 70 से अधिक सड़कें बंद पड़ी हैं। मानसून के कारण इस बार पी.डब्ल्यू.डी. को 584.95 करोड़ रुपए की चपत लग चुकी है। 

चंडीगढ़-मनाली और एन.एच.-70 पर भी खतरा
चंडीगढ़़-मनाली राजमार्ग और राजमार्ग 305 पर भी कई जगह खतरा है। हाईवे 305 की स्थिति तो किसी गांव की संपर्क सड़क से भी बदतर है, ऐसे में लोग सफर करने से कतरा रहे हैं। लोक निर्माण विभाग के एस.ई. अनिल संगराई के अनुसार बरसात में भू-स्खलन की दृष्टि से संवेदनशील जगहों पर मशीनरी और मैन पावर तैनात की हुई है। कभी कहीं सड़क बंद भी हुई तो उसे वाहनों की आवाजाही के लिए तुरंत बहाल कर दिया जाता है। हमारी आम लोगों से अपील है कि बरसात के मौसम में सफर के दौरान एहतियात बरतें। उधर हमीरपुर में राष्ट्रीय राजमार्ग एन.एच.-70 की खैहरन खड्ड पर सिंगल लेन पुल पर शनिवार सुबह ट्रक फंसने से यह राजमार्ग 7 घंटे बाधित रहा। लोगों को लगभग 29 किलोमीटर घूमकर वाया ज्वालाजी से नादौन पहुंचना पड़ा। बता दें कि खैहरन खड्ड पर सिंगल लेन पुल के साथ बनाए जा रहे नए पुल का कार्य अत्यंत धीमी गति से चल रहा है। यहां 3 वर्षों से केवल पुल के आधे-अधूरे पिल्लर ही भरे गए हैं। 

Ekta