शाही जलेब के साथ अंतर्राष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव का आगाज, मुख्यमंत्री ने की शिरकत

punjabkesari.in Friday, Mar 12, 2021 - 09:34 PM (IST)

मंडी: राजदेवता माधोराय की शाही जलेब के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय मंडी शिवरात्रि महोत्सव का आगाज हो गया। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने राजदेवता माधोराय के मंदिर में पूजा-अर्चना करने के बाद इस शाही जलेब में शिरकत की। जलेब की विशेषता यह रही कि इस बार हिमाचली व मंडयाली संस्कृति का प्रतिनिधित्व करने वाले सांस्कृतिक दलों ने अपने-अपने क्षेत्र के परंपरागत पहनावे के साथ झूमते-नाचते प्रतिनिधित्व किया। गांवों से आईं महिलाओं ने पारंपरिक परिधानों में जलेब नृत्य कर सबका मन मोहा। इस दौरान जहां मुखौटा नृत्य आकर्षण रहा, वहीं पर बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ मुहिम का प्रचार जलेब में किया गया। मुख्यमंत्री ने पड्डल मैदान में ध्वजारोहण कर एक सप्ताह तक चलने वाले मेलों का विधिवत शुभारंभ किया। मेला कमेटी के अध्यक्ष जिलाधीश मंडी ऋग्वेद ठाकुर ने मुख्यमंत्री को स्मृतिचिन्ह, शॉल और हिमाचली टोपी भेंटकर उनका स्वागत किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने शिवरात्रि स्मारिका का भी लोकार्पण किया। उत्तरी भारत में भव्य देव समागम के लिए विख्यात मंडी शिवरात्रि मेले 18 मार्च तक जारी रहेंगे। मेलों का समापन राज्यपाल द्वारा किया जाएगा। इस मौके पर प्रदेश सरकार में जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर, सांसद रामस्वरूप शर्मा, विधायक कर्नल इंद्र सिंह, राकेश जम्वाल, जवाहर ठाकुर, इंद्र सिंह गांधी, प्रकाश राणा, मिल्क फैड के अध्यक्ष निहाल चंद शर्मा, वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष राजबली, जिला परिषद अध्यक्ष पाल वर्मा व नगर परिषद की पूर्व अध्यक्ष सुमन ठाकुर आदि उपस्थित रहे।

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सराजी और चौहारी नाटी रही जलेब का आकर्षण
 इस बार की जलेब में लाहुली नृत्य, सराज घाटी का फागली, बल्ह क्षेत्र का मशहूर लोक नाट्य बुढला व नाटी के अलावा विभिन्न झांकियां भी जलेब में शामिल हुईं, वहीं सराजी और चौहारी नाटी भी मेले की पहली जलेब का आकर्षण रही। इसके अलावा माधोराय की जलेब में सबसे आगे पुलिस के घुड़सवार पुलिस और होमगार्ड बैंड, पुलिस के जवान व होमगार्ड की टुकडिय़ों के साथ-साथ सांस्कृतिक छटा बिखेरते सांस्कृतिक दलों ने भी राजदेवता की जलेब में शिरकत की। शिवरात्रि महोत्सव के दौरान निकलने वाली माधोराय की जलेब में बालीचौकी क्षेत्र के देवता छानणू-छमाहूं की जोड़ी झूमते हुए सबसे आगे चल रही थी, वहीं इसके पश्चात देव कोटलू नारायण, देव सरोली मार्कंडेय, देव शैटी नाग, देवी डाहर की अंबिका, देव विष्णु मतलोड़ा, देव मगरू महादेव, देव चपलांदू नाग, श्रीदेव बायला नारायण, देव बिट्ठू नारायण, देव लक्ष्मीनारायण पखरोल, चौहारघाटी के देव हुरंग नारायण, देव घड़ौनी नारायण, देव पशाकोट नारायण, देव पेखरू का गहरी, देव चुंजवाला शिव, देव तुंगासी ब्रह्मा, देवी सरस्वती महामाया व देवी नाऊ अंबिका के बाद राज माधव की चांदी की कुर्सी और उसके पीछे राजदेवता की पालकी चल रही थी, जबकि राजदेवता माधोराय की पालकी के पीछे देव शुकदेव डगाहंढु, देव शुकदेव मड़घयाल, देव जलौणी गणपति, देव शेषनाग टेपर, देव झाथीवीर और देव टुंडीवीर शामिल रहे।


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Content Writer

Kuldeep

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