Watch Video: आग का तांडव, एक के बाद एक आशियाना राख के ढेर में हुआ तब्दील

Wednesday, Dec 06, 2017 - 11:07 AM (IST)

मनाली (सोनू): मनाली की देवगढ़ पंचायत के भाटकराल गांव में मंगलवार को आग का तांडव देखने को मिला। गांव में 9 मकान जलकर राख हो गए। एक के बाद एक आशियाना लपटों की जद में आकर राख के ढेर में तब्दील होता गया। गगनचुम्बी आग की लपटों के बीच आग पर काबू पाने के प्रयास रात तक जारी रहे। देर शाम तक 6 मकान राख के ढेर में तबदील होने से दो दर्जन परिवार बेघर हो गए। सूचना पर कुल्लू और मनाली से दमकल वाहन घटनास्थल की ओर रवाना हो गए। अफरातफरी के बीच आग पर काबू पाने को जद्दोजहद चलती रही। लोग लपटों से घिरे अपने घरों से सामान तक सुरक्षित बाहर नहीं निकाल सके।


जिंदगी भर की पूंजी राख के ढेर में तब्दील
गांव में चीखों-पुकार का आलम रहा। आसपास के इलाकों से भी लोग आग पर काबू पाने के लिए भाटकराल पहुंचे। सूचना मिलने पर प्रभावितों के रिश्तेदार भी गांव की ओर दौड़े। भयंकर दावानल के बीच लोगों के खून पसीने की कमाई स्वाह हो गई। जिंदगी भर की पूंजी राख के ढेर में तब्दील होती गई और लोग बेबस आंखों से अपने घरों को राख होते हुए देखते रहे। कुल्लू के डी.सी. यूनुस ने कहा कि दमकल वाहन गांव में आग पर काबू पाने में लगे हैं। राहत सामग्री लेकर अलग-अलग टीमें गांव में भेज दी गई हैं। प्रभावितों की प्रशासन की ओर से हर सम्भव मदद की जाएगी। फौरी राहत राशि भी जारी की जा रही है। लगातार स्थिति पर नजर रखे हुए हैं।


यह हुए प्रभावित
अग्निकांड में राम गोपाल, धनी राम, हीरा लाल, प्रताप चन्द, ज्ञान चन्द, निरत राम, राम सिंह, आलम चन्द, मोती राम, अमर नाथ, प्रेम चन्द, शिव चन्द, केहर चन्द, रोशन लाल शामिल हैं। इनके अलावा और भी प्रभावित परिवार हैं जिनकी सूची बनाई जा रही है।


बिजली का शार्ट सर्किट अग्निकांड का कारण
भाटकराल में अग्निकांड प्रभावितों और अन्य लोगों ने बताया कि बिजली के शार्ट सर्किट के कारण आग लगी। मंगलवार को सुबह से बिजली बंद थी। शाम को जैसे ही बिजली आई तो उसके साथ ही एक मकान में आग लगने के बाद लपटों से नौ घरों को अपनी जद में ले लिया। जब तक लोग कुछ समझ पाते तब तक देर हो चुकी थी। आसपास के लोग भी घरों से पानी के मटके लेकर दौड़े लेकिन गगनचुम्बी आग की लपटों के आगे सब प्रयास बौने साबित हो गए।


पानी की कमी से मुश्किल
गांव में पानी की कमी के चलते लपटों को शांत करना मुश्किल हुआ। दमकल वाहनों में पानी भरने के लिए इन्हें तीन किलोमीटर दूर ले जाना पड़ा। इस वजह से दमकल वाहनों को सेवाएं देने में मशक्कत करनी पड़ी। रात दस बजे भी लपटों को शांत करने के लिए काम चलता रहा।


खुले आसमां तले गुजारी रात
प्रभावितों को खुले आसमां तले रात गुजारनी पड़ी। महिलाओं और बच्चों को आसपास के घरों व दावानल से बचे अन्य घरों में शरण दे दी गई। गांव व आसपास के इलाकों के पुरुष भी दमकल कर्मियों के साथ लपटों को काबू करने में लगे रहे। कई महिलाएं भी अपने जीवन भर की पूंजी राख होने के कारण भयंकर ठंड में कभी दहक रहे अपने आशियाने को देखने आती तो कभी शरणस्थली बने दूसरे मकान में अपने बच्चों को देखने जाती। अजीब स्थिति के बीच एक ओर लोगों को अपना सब कुछ लुट जाने का गम सताता रहा तो दूसरी ओर बेरहम भयंकर ठंड ने लोगों के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा काम किया।