यहां क्यों होता है, 3 क्विंटल देसी घी-मेवों से शिवलिंग का श्रृंगार?

Saturday, Jan 14, 2017 - 11:13 AM (IST)

धर्मशाला: मकर सक्रांति पर्व पर शिव मंदिर बैजनाथ में भगवान शिव व मां पार्वती के अर्धनारीश्वर पावन पिंडी पर आज 3 क्विंटल देसी घी व मेवों से श्रृंगार किया जाएगा। जबकि मंदिर को रंगबिरंगी लाईटों व फूलों से सजाया जाएगा। पहली बार मकर सक्रांति पर्व को श्रद्धालुवर्ग अपने फेसबुक या यू टयूब एकाउंट पर प्रशासन द्वारा बनाए गए शिवरात्री महोत्सव बैजनाथ एचपी ऑनलाईन पेज पर भी चैक कर सकते हैं। 


देसी घी को 108 बार शोधित करने का कार्य शुरु
संजय पुजारी ने बताया कि आज देसी घी को 108 बार शोधित करने का काम शुरू कर दिया गया है तथा मंकर सक्रांति की संध्या के समय पिंडि पर घृतमंडल बनाने का शुरू होगा, जोकि रात को लगभग 10 बजे तक पूरा कर लिया जाएगा। मंदिर न्यास के सदस्य घनश्याम अवस्थी ने बताया कि 14 से 21 जनवरी तक पिंडी पर घृतमंडल पर्व मनाया जाएगा, जिसके पश्चात 22 जनवरी को पिंडी पर लेप किए माखन को प्रसाद रूपी रूप में श्रद्धालुओं में बांटा जाएगा। मान्यता है कि प्रसाद के रूप में दिए जाने वाला मक्खन चर्म रोगों को ठीक करने के लिए लाभदायक होता है। बैजनाथ के प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया कि पहली बार ऑनलाइन पेज पर श्रद्धालु बैजनाथ में होने वाले सभी धार्मिक उत्सवों का लुत्फ उठा सकेंगे। 


5 से 6 पुजारी बनाते हैं पावन मक्खन की पिंडी
बैजनाथ शिव मंदिर के पुजारी विश्वनाथ शर्मा,निशांत शर्मा,संजय शर्मा,सुरेंद्र आचार्य व पुश्तैनी पुजारी धर्मेंद्र ने बताया कि में मकर सक्रांति के दिन मक्खन रूपी पावन पिंडी को बनाने में मंदिर न्यास के 5 या 6 सदस्य व पुजारी कार्यरत रहते हैं। इसके अलावा इस दिन काफी संख्या में शिव भक्त मंदिर में आकर भजन-कीर्तन भी करते हैं। घृतमण्डल का श्रृंगार शांति स्वरूप शर्मा द्वारा किया जाएगा। इसी दिन महाकाल मंदिर व संसाल स्थित मुकु ट नाथ मंदिर में भी शिवलिंग पर घृतमंडल चढ़ाया जाता है। तथा पहली वार बैजनाथ के प्राचीन मंदिर पुटठे चरणों में भी कर्तव्य समाज सेवा द्वारा 21 किलो का घृतमण्डल चढ़ाया जाएगा। मन्दिर सहायुकत एवं एसडीएम बैजनाथ सुनयना शर्मा ने वताया कि घृत मण्डल पर्व को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है ,उन्होंने कहा कि इस वार लगभग 5 किवंटल घी मन्दिर में इकट्ठा होने की आशा है लेकिन पिंडी के ऊपर 3 किवंटल का ही घृतमण्डल चढ़ाया जाएगा।