मेजर जनरल इयान कार्दोजो ने अग्निपथ योजना पर उठाए सवाल, जानिए क्या कहा
punjabkesari.in Saturday, Oct 14, 2023 - 10:48 PM (IST)

सोलन (ब्यूरो): भारत-पाकिस्तान युद्ध के हीरो मेजर जनरल इयान कार्दोजो ने अग्निपथ योजना पर सवाल उठाते हुए कहा कि इससे भारतीय सेना मजबूत नहीं होगी। इंडियन आर्मी का गौरवमयी इतिहास है लेकिन ब्यूरोक्रेट्स रूल सेना को निशाना बना रहे हैं। इससे वह आहत भी हैं और उनमें रोष भी है। इस तरह की नीतियां 1965, 1971 व 1999 का युद्ध जीतने वाली सेना को 1962 की स्थिति में ले जाएंगी। कसौली में आयोजित खुशवंत सिंह लिटरेचर फैस्टीवल में अपनी किताब बियांड फियर पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि सेना में सेवारत ऑफिसर व सैनिकों को बोलने का अधिकार नहीं है लेकिन जनता को सैनिकों के लिए आवाज उठानी होगी।
सेना में पैंशन को बंद नहीं किया जा सकता
इयान कार्दोजो ने कहा कि सेना में पैंशन को बंद नहीं किया जा सकता। उन्होंने बताया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह वर्ष 2019 में दिव्यांग पूर्व सैनिक पैंशनर्ज को पैंशन में आयकर की मिल रही छूट को बंद करने को लेकर संसद में एक बिल लेकर आए थे। उन्होंने इस बिल के खिलाफ आवाज उठाई तो सरकार को इसे विदड्रा करना पड़ा। उन्होंने कहा कि यदि सैनिकों को मिल रहे इस प्रकार के लाभों को बंद किया जाएगा तो युद्ध पर इसका असर पड़ेगा। सैनिकों का जोश इस प्रकार के निर्णयों से कम होगा।
ब्यूरोक्रेट्स रूल को बदलने में लग गए 40 वर्ष
इयान कार्दोजो ने बताया कि वर्ष 1971 के युद्ध के दौरान जब घायल हुए थे और करीब 9 महीने के बाद जब अस्पताल से उन्हें छुट्टी हुई तो सीडीएओ से उन्हें एक पत्र के माध्यम से सूचित किया गया कि उन्हें आधा वेतन दिया जाएगा। ब्यूरोक्रेट्स रूल था कि अस्पताल में 6 महीने से अधिक समय तक दाखिल रहने पर पैंशन आधी मिलती थी। वर्ष 1965, 1971 व 1999 में भी ऐसी व्यवस्था थी। देश में इस रूल को बदलने में करीब 40 वर्ष लग गए।
बटालियन और ब्रिगेड की कमान संभालने वाले पहले युद्ध दिव्यांग अधिकारी बने
इयान कार्दोजो ने कहा कि उनकी लड़ाई यहीं खत्म नहीं हुई। एक आर्मी ऑफिसर का एक सपना तो है कि वह सेना को कमांड करे। युद्ध में उनका पैर कट गया था। इस कारण दिव्यांग को सेना में प्रमुख पद नहीं मिलता था। जब वह अस्पताल में दाखिल थे तो उन्हें एक समय लगा कि सेना का सफर शायद खत्म हो गया लेकिन उन्होंने एक किताब पढ़ी, जिसमें दूसरे विश्व युद्ध के दौरान वायु सैनिक ने अपनी दोनों टांगें गंवाने के बाद भी दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए। उन्होंने कृत्रिम टांग लगाकर खूब अभ्यास किया और इसका नतीजा रहा कि एक बटालियन और एक ब्रिगेड की कमान संभालने वाले भारतीय सेना के पहले युद्ध दिव्यांग अधिकारी बने। वह गोरखा राइफल्स के मेजर जनरल थे। उन्होंने वर्ष 1971 के युद्ध की चर्चा करते हुए कहा कि बंगलादेश की सीमा पर गाजीपुर पर पाकिस्तान सेना के साथ हो रहे युद्ध में गोरखा रैजीमैंट के 352 सैनिकों ने पाकिस्तान के 8000 सैनिकों को आत्मसमर्पण करने पर मजबूर कर दिया।
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