श्रावण मेले में मां नयना देवी जी को लगता है राजसी भोग

Wednesday, Aug 02, 2017 - 01:59 AM (IST)

नयनादेवी: विश्वविख्यात शक्तिपीठ श्री नयना देवी में श्रावण मेले के दौरान दोपहर के समय माता को राजसी भोग लगता है। हालांकि आम दिनों में माता जी की 5 आरतियां होती हैं लेकिन मेले के दौरान 2 ही समय आरतियां होती हैं। एक आरती रात के समय और दूसरी आरती दोपहर के समय। दोपहर के समय माता जी को राजसी भोग लगता है। प्राचीन परंपरा के मुताबिक आज भी 5 सब्जियां, बासमती चावल और खीर बनाई जाती हैै। सब्जियों में मदरा खट्टा, कड़ी-माह और चने की दाल के साथ में खीर। दोपहर के समय माता का मंदिर आरती के लिए बंद होता है और फिर राजसी भोग माता को विधिवत रूप से लगाया जाता है। इसके बाद यह भोग श्रद्धालुओं में बांटा जाता है।



पूरी स्वच्छता से तैयार होता है माता का भोग
माता की रसोई के रसोइये कृष्ण चंद और शिव का कहना है कि मां का भोग पूरी स्वच्छता से तैयार होता है और मसाले काफी कम प्रयोग किए जाते हैं फिर भी ये भोग अति स्वादिष्ट होता है। हालांकि मेले के बाद माता की 5 आरतियां शुरू होंगी लेकिन आजकल रात के समय ही सारी आरतियां इकट्ठी की जाती हैं। मेले के दौरान दोपहर के समय और रात को 12 बजे मंदिर आरतियों के लिए बंद होता है। बाकी 22 घंटे मंदिर के किवाड़ श्रद्धालुओं के लिए खुले रहते हैं। 

लंगर कमेटियां रवाना 
शक्तिपीठ श्री नयना देवी में लंगर कमेटी की समाजसेवी संस्थाएं 10 दिन तक यहां पर लंगर सेवा करके अपने-अपने घरों को रवाना हो गए। इस बार भी पंजाब और हरियाणा के कई समाजसेवी संस्थाओं ने यहां पर लंगरों का आयोजन किया। कोलांवाला टोबा से लेकर श्री नयना देवी तक लगभग 70 के करीब लंगरों का आयोजन किया गया जिसमें श्रद्धालुओं को भोजन, चाय व पानी की व्यवस्था की गई। हालांकि मेला अधिकारी विनय कुमार ने समय-समय पर लंगरों का निरीक्षण भी किया। पिछले 2 दिनों से बढ़ रही भारी भीड़ के बावजूद मंगलवार को श्रद्धालुओं की संख्या कम रही। श्रावण अष्टमी मेला अपने अंतिम पड़ाव पर है।