कुल्लू के पुलों की हालत से आहत महेश्वर सिंह, बोले- भूतनाथ पुल से हुई है ज्यादा छेड़छाड़

punjabkesari.in Friday, Sep 27, 2019 - 10:38 AM (IST)

कुल्लू (शम्भू प्रकाश): पूर्व सांसद महेश्वर सिंह कुल्लू में पुलों की दुर्गति से आहत हैं। भुंतर में वैली ब्रिज, भूतनाथ पुल व अखाड़ा बाजार वैली ब्रिज की दुर्दशा की वजह से लोग परेशान हैं। इन दिनों दशहरा उत्सव की तैयारियों में जुटे महेश्वर सिंह कहते हैं कि करोड़ों रुपए के भूतनाथ पुल के साथ बार-बार हुई छेड़छाड़ ने इस पुल की ऐसी हालत की। लोक निर्माण विभाग ने बार-बार कहने के बावजूद पहले ही पुल का निर्माण गलत तरीके से किया था। उसके बाद जब पुल बना तो वाम तट मार्ग तक सड़क ऐसी बनाई कि वह लोगों की जान की दुश्मन बनी रही। बाद में उस सड़क को ठीक करवा दिया गया तो विभाग एक और सड़क बनाने लगा। उस कार्य से भी विभाग को रोका लेकिन विभाग नहीं माना। इसके पीछे तर्क दिया था कि यह क्षेत्र स्लाइङ्क्षडग जोन है और इससे पुल के स्तंभ खिसक सकते हैं। 

रही-सही कसर फोरलेन ने पूरी कर दी। इसी वजह से यह पुल दरक गया और आज लोगों को इसका खमियाजा भुगतना पड़ रहा है। महेश्वर सिंह ने कहा कि वाम तट क्षेत्र में सड़क को फोरलेन के स्थान पर डबललेन करने की भी मैंने विधानसभा में बात उठाई थी। पूर्व प्रदेश सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया और आज परिणाम सामने हैं। देऊधार में कई मकान ढह गए। आसपास के दायरे में लोगों के मकान ताश के पत्तों की तरह बिखर गए। महेश्वर सिंह ने जनमंचों को लेकर भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने क्या सुझाव दिए हैं, इसका खुलासा करने से उन्होंने फिलहाल इंकार किया। 

एक किलोमीटर के लिए तय किया 28 किलोमीटर सफर 

महेश्वर सिंह ने कहा कि उन्हें बुधवार को अखाड़ा बाजार के ठीक सामने ब्यास के उस पार वाम तट इलाके में पहुंचना था। उन्होंने कहा कि उनके घर से यह सफर महज एक-डेढ़ किलोमीटर है। पुलों की स्थिति ठीक न होने के कारण इस जगह तक पहुंचने के लिए उन्हें बजौरा होते हुए करीब 28 किलोमीटर का सफर करना पड़ा। घर से निकलकर अखाड़ा बाजार होते हुए गैमन ब्रिज तक पहुंचना हो तो भी भयंकर ट्रैफिक जाम के कारण इतना ही समय लगता। उन्होंने कहा कि पुल जगह-जगह हैं लेकिन उस पार पहुंचने की खातिर इस्तेमाल के लिए कोई भी पुल नहीं बचा है। ये हालात खिल्ले घराट में राक्षस राज की वजह से बने हुए हैं। 

आज भी बस में सफर करते हैं महेश्वर

महेश्वर सिंह बताते हैं कि वह बसों में ही सफर करना पसंद करते हैं। जब वह पहली बार विधायक बने तब से ही शिमला तक बस में जाते रहे। सांसद रहते हुए भी दिल्ली तक का सफर बस में ही किया। महेश्वर बताते हैं कि बस में सफर करने से लोगों के साथ मिलना-जुलना होता है और लोगों से कई बातें भी पता चलती हैं। महेश्वर बताते हैं कि कुछ दिन पहले भी वह अपनी अद्र्धांगिनी के साथ दिल्ली गए थे तो सफर बस में ही किया। 

लोगों को नाम से पुकारते हैं  महेश्वर

महेश्वर सिंह की एक खासियत है कि वह कार्यकत्र्ताओं को नाम से ही पुकारते हैं। उनकी स्मरण शक्ति इतनी जबरदस्त है कि उन्हें गांव-गांव के कार्यकत्र्ताओं की पहचान उनके नाम से रहती है। महेश्वर सिंह बताते हैं कि उन्होंने कई चुनाव लड़े और गांव-गांव की पगडंडियां पैदल ही पार कीं। आज कई गांव सड़क सुविधा से जुड़ गए हैं और कुछेक गांव अभी सड़क सुविधा से वंचित हैं। 

जहां जाते हैं वहां की बोली में बात

महेश्वर सिंह ने बतौर लोस सांसद व राज्यसभा सांसद भी सेवाएं दीं। महेश्वर सिंह फर्राटेदार अंगे्रजी बोलते हैं। उनकी एक बहुत बड़ी खासियत यह भी है कि वह मंडी संसदीय क्षेत्र के तहत किसी भी जिला व गांव में जाते हैं तो वहां वहीं की बोली में बात करते हैं। हिमाचल के अन्य इलाकों में भी लोगों से वहीं की बोली में बात करते हैं। 


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Ekta

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