देखिए, कैसे जान जोखिम में डालकर मौत के रास्ते पर चल रहे ग्रामीण (Video)

Sunday, Sep 23, 2018 - 11:29 AM (IST)

शिलाई (रोबिन): प्राचीन समय में पहाड़ी क्षेत्र में रहने वाले लोग नदियों को पार करने के लिए झूला पुल का इस्तेमाल करते थे। पहाड़ी क्षेत्रों में सड़कों की अधिक समस्या होने के कारण टोंस नदी पर 3 झूले पुल बनाए गए थे इनमें से आज भी एक झूला पुल इस्तेमाल किया जा रहा है। बड़ी विडंबना है कि इन झूला पुलों की मरम्मत समय पर ना होने से कई गांव के होनहार जवान युवा व बुद्धि जीव जान गंवा चुके हैं। शिलाई क्षेत्र के अंतर्गत बाली कोटि पंचायत मोराढ़ खंड में बने झूले पुल की दशा अत्यंत खराब है। रोजाना कई ग्रामीण अपनी जान जोखिम में डालकर इस झूला पुल को पार करते हैं, कारण यहां भी है ग्रामीणों को अपने खेतों में उगी फसलें व घर का राशन उत्तराखंड से नजदीक पड़ता है। 


उत्तराखंड के कवाणु क्षेत्र में अक्सर ग्रामीणों का आना जाना लगा रहता है। शिलाई के ग्रामीणों को अदरक, टमाटर, लहुसन इत्यादि की फसलों की बिक्री के लिए उत्तराखंड के विकासनगर सब्जी मंडी नजदीक पड़ती है। झूला पुल का इस्तेमाल से लोग हर रोज अपनी जान जोखिम में डालकर कवाणु पहुंचते हैं। कारण यह भी है की अगर सड़क से जाया जाता है तो 50 किलोमीटर की दूरी तय करनी होती है जबकि मात्र इस झूला पुल को पार कर के कवाणु पहुंच जाते हैं।


स्थानीय लोगों ने शासन व प्रशासन से जोरदार आग्रह किया है कि झूला पुल के जगह पर लोहे या सीमेंट पूल लगाया जाए ताकि आगे से यहां पर कोई बड़ा हादसा ना हो सके। बाली कोटि पंचायत के पूर्व प्रधान ने बताया कि मुराड खंड में बने पुराने झूला पुल की मरम्मत कराने के लिए उन्होंने कई बार पंचायत लेवल पर व स्थानीय विधायक से गुहार लगाई पर कोई फायदा नहीं हुआ। कई साल बीत जाने से यह झूला पुल डगमगा रहा है। इसमें कुछ दिन पहले ही बुद्धिजीवी रस्सी टूटने से अपनी जान गवा बैठे ऐसे कई हादसे कई हो चुके हैं पर शासन-प्रशासन ने इसका कोई पुख्ता इंतजाम नहीं।  

Ekta