तस्वीरों में देखिए, दहकते अंगारों पर नंगे पांव आस्‍था का नृत्य

Friday, Aug 25, 2017 - 03:36 PM (IST)

मंडी (नीरज शर्मा) : यदि किसी को आग जरा सी भी छू जाए तो उसकी जलन से हाल बेहाल हो जाता है। लेकिन जब किसी को अग्निपरीक्षा देनी पड़े तो सोचिए क्या होगा? मंडी शहर के बीचों बीच स्थित माता चामुंडा काली के मंदिर में हर वर्ष माता की वार्षिक जाग का आयोजन किया जाता है। लोग बड़ी संख्या में इस वार्षिक जाग में शिरकत करते हैं। वार्षिक जाग में जहां रात भर भजन कीर्तनों के माध्यम से माता की महिमा का बखान होता है वहीं इस दौरान एक दृश्य ऐसा भी देखने को मिलता है। जिसपर खुली आंखों को यकीन करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। यह दृश्य होता है माता के पुजारियों की अग्निपरीक्षा का।

लोगों की माता के प्रति भी अटूट श्रद्धा
मंदिर परिसर के एक कोने में अग्नि जलाई जाती है और रात करीब 12 बजे माता चामुंडा काली, महाकाली और देव बालाकामेश्वर के रथ इस अग्निकुंड के पास लाए जाते हैं। इसके बाद शुरू होता है अग्निपरीक्षा का दौर। माता के पुजारी बारी-बारी करके इस अग्निकुंड के उपर से एक बार नहीं अनेकों बार गुजरते हैं। मंदिर कमेटी के साथ जुड़े तिलक राज ने बताया कि पुजारियों में दैविय शक्ति प्रवेश करती है और उसके बाद ही पुजारी दहकती आग पर चलते हैं। इससे पुजारियों का बाल भी बांका नहीं होता। यह इसी बात का प्रमाण होता है कि पुजारियों की भक्ति माता के प्रति अटूट है। वहीं दूसरी ओर इस जाग को देखने के लिए लोग बड़ी संख्या में मंदिर परिसर में पहुंचते हैं। लोगों को रात के समय निभाई जाने वाली इस रस्म का बेसब्री से इंतजार रहता है। दरअसल, लोगों की माता के प्रति भी अटूट श्रद्धा है जिस कारण लोग मंदिर में आकर माता का आशीवार्द लेना नहीं भूलते। दहकते अंगारों पर चलकर अग्निपरीक्षा देने की यह परंपरा कोई नई नहीं है। यह प्रथा इस मंदिर में कई सदियों से ऐसे ही निभाई जा रही है। समय बदल रहा है और बदलते समय के साथ अब तक सैंकड़ों की संख्या में माता के पुजारी अग्निपरीक्षा दे चुके हैं।