लंदन के विक्टोरिया ब्रिज की तर्ज पर जगमगाएगा यह ऐतिहासिक पुल

Tuesday, Jul 04, 2017 - 01:30 PM (IST)

मंडी (पुरुषोत्तम): एेतिहासिक विक्टोरिया ब्रिज अब लंदन के विक्टोरिया ब्रिज की तर्ज पर रात के अंधेरे में भी जगमगाएगा। इससे ऐतिहासिक विरासत का आकर्षण बढ़ेगा साथ ही मंडी-पठानकोट नैशनल हाइवे से गुजरने वाले सैलानियों को आकर्षित भी करेगा। इस पुल का निर्माण लंदन के विक्टोरिया ब्रिज की तर्ज पर वर्ष 1877 में मंडी रियासत के तत्कालीन राजा विजय सेन द्वारा करवाया गया था। इतिहासकारों के अनुसार राजा वियज सेन ने अंग्रेजों द्वारा दिल्ली में आयोजित एक प्रतियोगिता में कार जीती थी और उस कार को मंडी तक लाने के लिए पुल का निर्माण करवाया गया था। इस ब्रिज के मरम्मत कार्य के बाद अब एडीबी ने इसे सजाने संबारने का कार्य शुरू किया गया है। इस पर लगभग 80 लाइटस लगाई जा रही हैं। यह लाइटें एंबर व्हाइट दोनों कलर में मिस्कड है। 


आई.आई.टी. में आए अमरीकी छात्रों ने बनाया प्रोजैक्ट
मंडी शहर के लिए इस पैदल रास्ते के निर्माण को लेकर वरकेस्टर पॉलीटैक्नीक इंस्टीच्यूट के छात्रों मडीसन बैक, सुशना ग्रे और एलिमा कारगबो द्वारा आई.आई.टी. मंडी के सहयोग से डा. भारत सिंह राज पुरोहित, डैरिक्स पी. शुक्ला, फेबिओ करेरा और स्वेतलाना निकिता के मार्गदर्शन में यह महत्वाकांक्षी प्रोजैक्ट मंडी पुलिस के आग्रह पर मंडी वासियों के लिए तैयार किया गया है। 4.8 किलोमीटर लंबे प्रस्तावित इस पैदल रास्ते को ब्यास और सुकेती रिवर वॉक-वे को भ्यूली पुल व विक्टोरिया ब्रिज से होते हुए समखेतर व पड्डल से पूरी परिक्रमा की जाएगी। मंडी शहर में पैदल चलने का अभियान चलाने वाले डी.एस.पी. मंडी हितेश लखनपाल के अनुसार इस रास्ते को सजाने-संवारने की व्यवस्था की गई है, जिसमें विश्राम करने के लिए बैंच, स्ट्रीट लाइट, बाथरूम, रेलिंग और बेसहारा गायों के लिए अवरोधक लगाए जाएंगे।


जिला प्रशासन को सौंपी परियोजना
करीब डेढ़ करोड़ रुपए की इस महत्वाकांक्षी परियोजना की प्रति डी.एस.पी. मंडी हितेश लखनपाल ने डी.सी. मंडी और नगर परिषद मंडी को सौंपी है। इस परियोजना के पूर्ण होने से मंडी शहर वासियों की जीवन शैली में सकारात्मक बदलाव आएगा, वहीं मंडी में धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। इस कार्य में डी.एस.पी. हैडक्वार्टर मंडी हितेश लखनपाल ने काफी रुचि ली है और उन्होंने इसके लिए आई.आई.टी. से संपर्क साध कर रिपोर्ट भी तैयार की है। अगर सरकार इसे गंभीरता से लेती है तो मात्र डेढ़ करोड़ रुपए के खर्च वाले इस प्रोजैक्ट से मंडी में न केवल यातायात समस्या का स्थायी समाधान निकलेगा बल्कि मंडी की परिधि में स्थित प्राचीन मंदिरों के दर्शन भी सुलभ तरीके से हो सकेंगे।