हमीरपुर के हकों व हितों की रक्षा में स्थानीय नेतृत्व नाकाम : राणा

Wednesday, Aug 19, 2020 - 05:41 PM (IST)

हमीरपुर : अब प्रदेश सरकार दूसरे जिलों के हकों व हितों को हड़पने पर आमादा हो रही है। जिससे क्षेत्रीय संतुलन पूरी तरह से गड़बड़ा गया है। यह बात राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने यहां जारी प्रेस बयान में कही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में ठप्प पड़े विकास कार्यों के बीच अब हर छोटे-बड़े संस्थानों को जिला मंडी में खोलने को सरकार तरजीह दे रही है। सैन्य बाहुल्य जिला हमीरपुर में वीरभद्र सरकार के कार्यकाल में हमीरपुर के समीप ताल क्षेत्र में आर्मी अकादमी खोलने के लिए भूमि का चयन हुआ था। इस भूमि को देखने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वयं ताल क्षेत्र में गए थे और उन्होंने इस जमीन को हमीरपुर की संभावित सैन्य क्षमता को देखते हुए यहां आर्मी अकादमी खोलने के लिए हामी भरी थी, लेकिन सत्ता बदलते ही अब इस सैन्य अकादमी को जिला मंडी में खोले जाने की चर्चाएं सामने आई हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि यह पहला संस्थान नहीं है जिसे हमीरपुर से बदल कर मंडी ले जाया गया है। कमोवेश प्रदेश के कई जिलों में खुलने वाले संस्थानों को भी मंडी ले जाने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। 

उन्होंने कहा कि हालांकि केंद्रीय राज्य वित्त मंत्री एवं सांसद अनुराग ठाकुर का हमीरपुर गृह जिला है, लेकिन हमीरपुर के संस्थानों को मंडी ले जाने के मामले पर अनुराग ठाकुर भी चुप हैं। जिससे समझा जा सकता है कि या तो अनुराग ठाकुर अब हमीरपुर की परवाह ही नहीं कर रहे हैं या उनकी अपनी ही सरकार उनको नहीं सुन रही है। जिस कारण से हमीरपुर की जनता के हितों से निरंतर खिलवाड़ हो रहा है। उन्होंने कहा कि समझ में यह नहीं आता है कि हमीरपुर में भाजपा नेतृत्व इस मामले में चुप क्यों है।

जब हमीरपुर प्रदेश को नेतृत्व दे रहा था और सरकार भी बीजेपी की थी, तब भी हमीरपुर को वह नहीं मिल पाया जिसका हकदार हमीरपुर था और अब वर्तमान में भी जब सरकार बीजेपी की है तो सारे संस्थानों को मंडी में खोलने की होड़ सी लगी है। हमीरपुर को मिलने वाली आर्मी अकादमी को मंडी में खोले जाने से सैनिकों, पूर्व सैनिकों व उनके परिजनों के साथ समूचे हमीरपुर में सरकार के प्रति भारी आक्रोश पनपा है। बावजूद इसके हमीरपुर का बीजेपी नेतृत्व इस मामले पर पूरी तरह खामोश है। हमीरपुर के नेतृत्व की खामोशी और बेबसी बता रही है कि अब हमीरपुर बीजेपी के नेतृत्व के दिन लद चुके हैं, लेकिन आपसी खुन्नस व खीज में हमीरपुर बीजेपी के नेतृत्व को अभी भी लग रहा है कि जमाना उनकी मुट्ठी में कैद है। 

जिस तरह से हमीरपुर ताल से आर्मी अकादमी को बदल कर मंडी ले जाया गया है, उससे साफ हो चुका है कि अब बीजेपी सरकार सिर्फ मंडी की होकर रह गई है और मंडी के लिए ही काम कर रही है। बीजेपी सरकार की इस कारगुजारी के कारण आम जनता में भारी रोष है, जिससे जनता अब खुद को छला व ठगा हुआ महसूस कर रही है। लेकिन हमीरपुर बीजेपी का वर्तमान नेतृत्व व निर्वतमान नेतृत्व हमीरपुर के हकों को लेकर पूरी तरह से लापरवाह व सोया हुआ है। उन्होंने कहा कि हमीरपुर भाजपा इस मामले पर खामोश क्यों है और सरकार सब कुछ मंडी में ही स्थापित करने की जिद्द पर क्यों बजिद्द है?

इस पर सरकार को स्थिति स्पष्ट करनी होगी। बीजेपी की आपसी रस्सा-कस्सी में अब हमीरपुर न तेरा न मेरा की स्थिति में है। जो हमीरपुर के नेतृत्व का दम भरते हैं, वह हमीरपुर के हकों व हितों की रक्षा करने में बेबस हैं। जिनको सरकार के नाते क्षेत्र के हित देखने हैं व हमीरपुर के हकों व हितों की रक्षा करना नहीं चाहते हैं। इसी रस्सा-कस्सी में जहां हमीरपुर का विकास निरंतर अवरुद्ध हो रहा है, वहीं अब रही-सही कसर संस्थानों को मंडी में स्थापित करने से पूरी हो रही है।
 

prashant sharma