हिमाचल में चमकी बुखार से फीकी हुई लीची की चमक, बागवान व दुकानदार परेशान

Saturday, Jun 22, 2019 - 03:38 PM (IST)

हमीरपुर (राकेश पाल): बिहार में चमकी बुखार और लीची को लेकर फैले भ्रम को लेकर हिमाचल में भी लीची की बिक्री प्रभावित हुई है। इससे दुकानदार व बागवान परेशान दिख रहे हैं। लीची की बिक्री में आई मंदी से उन बागवानों की हवाइयां उड़ गईं हैं, जिन्होंने व्यापक स्तर पर लीची के बाग लगाए हैं। फलों की रानी के तौर पर पहचाने जाने वाला रसीला फल ‘लीची’ विवादों में है। दरअसल डॉक्टरों के साथ बिहार सरकार के कुछ अधिकारियों का कहना है कि बच्चों की मौत के पीछे उनका लीची खाना भी एक कारण है। इसका असर यह हुआ है कि बिहार समेत देश भर में लीची को संदिग्ध नजर से देखा जा रहा है। हालात ये हो गए हैं कि लोगों ने लीची खरीदना तक बंद कर दिया है। इस वजह से दुकानदारों को खरीददार नहीं मिल रहे हैं और इस फल के कारोबार पर भी असर पड़ रहा है।

लीची की बिक्री में करीब 30 फीसदी आई गिरावट

रिपोर्ट के मुताबिक बीते एक हफ्ते में हमीरपुर, कांगड़ा, मंडी व ऊना सहित प्रदेश के अन्य इलाकों में लीची की बिक्री में करीब 30 फीसदी तक की गिरावट आई है।  माना जाता है कि लीची का सीजन केवल 20 से 25 दिन का होता है । इसके बाद लीची खराब होना शुरू हो जाती है। इस बार लीची की बम्पर फसल होने से बागवानों को अच्छा मुनाफा होने की उम्मीद थी लेकिन चमकी बुखार के कारणों में लीची को लेकर फैली अफवाह ने बागवानों और फल विक्रेताओं की परेशानी बढ़ा दी है । फलों की दुकानों में लीची तो है  लेकिन खरीददार नहीं मिल रहे हैं।

बच्चों की मौत को लीची नहीं कुपोषण जिम्मेदार

वहीं मैडिकल ऑफिसर एवं महामारी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर पुष्पिंदर वर्मा का कहना है कि लीची को लेकर कोई डरने वाली बात नहीं है। उन्होंने कहा कि कमजोर व कुपोषण के शिकार बच्चों द्वारा कच्ची लीची खाने से बुखार का टॉक्सिन प्रभावी हो सकता है। अधिकतर उन बच्चों पर ही इसका असर हुआ जो लीची के बगीचों में घूमते रहे व कच्ची लीची खाते रहे , ऐसे में हिमाचल में लीची को लेकर कोई समस्या नहीं है।

लीची में ऐसा कोई तत्व नहीं जिससे हो चमकी बुखार

बागवानी विशेषज्ञ यह मानते हैं कि लीची में ऐसा कोई तत्व नहीं होता, जिससे चमकी बुखार हो। बिहार में बच्चों के मरने की बड़ी वजह कुपोषण माना जा रहा है। इस बारे में बागवानी विभाग के उपनिदेशक डॉक्टर पवन ठाकुर ने बताया कि जिन क्षेत्रों में कोहरा नहीं पड़ता और पानी की सुविधा है वहां लीची की खेती को बढ़ाने के प्रयास जारी रहेंगे। उन्होंने माना कि लीची को लेकर उठे भ्रम को लेकर बागवानों को मंदी के दौर से गुजरना पड़ रहा है।

Vijay