PWD के इस काम से सरकारी खजाने को लगेगा करोड़ों का चूना, पढ़ें खबर

Sunday, Aug 20, 2017 - 10:07 AM (IST)

शिमला: लोक निर्माण विभाग ने अब तक जी.एस.टी. नंबर नहीं लिए हैं। इस कारण विभाग को डबल टैक्स देना पड़ेगा। हालांकि अभी ये टैक्स ठेकेदारों की जेब से लिया जा रहा है लेकिन विभाग और ठेकेदार के बीच जो एग्रीमैंट होता है, उसके क्लाज नंबर 32 के मुताबिक ठेकेदार उस टैक्स को क्लेम कर सकता है और सारा टैक्स सरकार को चुकाना पड़ेगा। इससे आने वाले दिनों में सरकारी खजाने को करोड़ों का चूना लगेगा। अब जाकर लोक निर्माण विभाग की नींद टूटी है। पी.डब्ल्यू.डी. के प्रमुख अभियंता ने सभी चीफ इंजीनियर, अधीक्षण अभियंता, अधिशासी अभियंता और सहायक अभियंता को जी.एस.टी. नंबर लेने के निर्देश दिए हैं। 

1 जुलाई से लागू है गुड्स एंड सर्विस टैक्स
बता दें कि देश में बीते 1 जुलाई को गुड्स एंड सर्विस टैक्स लागू हो गया है। इसके तहत पी.डब्ल्यू.डी. अधिकारियों को अपना पंजीकरण आबकारी एवं कराधान विभाग के पास करवाना अनिवार्य है लेकिन सूबे का लोक निर्माण महकमा पौने 2 माह बाद भी जी.एस.टी. नंबर नहीं ले पाया है जबकि ठेकेदार एसोसिएशन 2 सप्ताह पहले विभाग को सरकारी सीमैंट, सरिया, स्टील व बिटुमिन इत्यादि सामान न लेने की चेतावनी दे चुकी है। अलग कंपनियों से विभाग जी.एस.टी. चुकाकर सारा सामान खरीद रहा है लेकिन जी.एस.टी. नंबर न होने के कारण चुकाया गया जी.एस.टी. कहीं क्रैडिट नहीं दिखा पा रहा। 

ठेकेदारों से जी.एस.टी. के साथ पेमैंट वसूल रहा विभाग
जब यही खरीदा हुआ सामान ठेकेदारों को दिया जा रहा है, तो उनसे जी.एस.टी. के साथ पेमैंट वसूल की जा रही है। गौर करने वाली बात है कि विभाग और प्रत्येक ठेकेदार के बीच एग्रीमैंट होता है। एग्रीमैंट के क्लाज-32 के मुताबिक किसी भी तरह का टैक्स ठेकेदार से नहीं लिया जाएगा। ये टैक्स विभाग स्वयं चुकाएगा। सरकारी सामान खरीदते वक्त ठेकेदार जो टैक्स विभाग को दे रहा है, उसके लिए सभी ठेकेदार क्लेम कर सकते हंै। यानी पहली बार लोक निर्माण विभाग उस कंपनी को जी.एस.टी. दे रही है, जिससे सामान खरीदता है और दूसरी बार ठेकेदार को टैक्स चुका रहा। इसके लिए विभागीय अधिकारियों को जी.एस.टी. नंबर लेना अनिवार्य है।

ठेकेदारों ने दी है कोर्ट जाने की धमकी
हिमाचल की ठेकेदार एसोसिएशन के प्रधान सतीश विज ने बताया कि विभाग जी.एस.टी. नंबर लेने में अनावश्यक देरी कर रहा है। इस कारण ठेकेदार परेशान हैं। उन्होंने बताया कि सभी ठेकेदार एग्रीमैंट की शर्तों के मुताबिक जी.एस.टी. के लिए आवेदन करेंगे। यदि विभाग इसे देने को इंकार करेगा, तो ठेकेदार इसे कोर्ट के माध्यम से लेकर रहेंगे। उन्होंने बताया कि यदि विभाग जी.एस.टी. नंबर ले लेता है तो विभिन्न कंपनियों से सामान खरीदने पर दिए जाने वाले टैक्स को उनके खाते में कै्रडिट किया जा सकेगा। इससे सरकार को दोहरा जी.एस.टी. नहीं देना पड़ेगा।