हिमाचल की इस IAS अफसर पर चलेगा मुकद्दमा, जानिए क्या है मामला

Friday, Sep 22, 2017 - 05:29 PM (IST)

बिलासपुर: पूर्व सैनिक मदन लाल शर्मा द्वारा वर्ष 2016 में बिलासपुर के जिलाधीश पद का कार्यभार संभाल रही आई.ए.एस. अधिकारी मानसी सहाय ठाकुर पर ‘कानूनी व संवैधानिक अधिकारों का हनन’ का इल्जाम लगाते हुए कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। वर्तमान में बाल विकास विभाग के निदेशक का कार्यभार संभाल रही मानसी सहाय ठाकुर ने इस याचिका को रद्द करने का प्रार्थना पत्र सिविल जज जूनियर डिवीजन बिलासपुर की अदालत में दिया था लेकिन कोर्ट ने आई.ए.एस. अधिकारी मानसी सहाय ठाकुर की इस प्रार्थना को अस्वीकार कर दिया है तथा कहा है कि मुकद्दमा नियमानुसार चलता रहेगा।

यह है मामला
फोरलेन विस्थापित एवं प्रभावित समिति के महासचिव पूर्व सैनिक मदन लाल ने बताया कि वर्ष 2015 में फोरलेन विस्थापितों की समस्याओं को लेकर आर.टी.आई. में दायर अपील में जिलाधीश के समक्ष अपना पक्ष रखने के लिए उन्होंने अधिवक्ता राजेश मिश्रा की सेवाएं लीं व इस केस हेतु जिलाधीश के समक्ष अपना पक्ष रखने के लिए राजेश मिश्रा को अपना वकालतनामा भी हस्ताक्षरित करके दे दिया था लेकिन जब अधिवक्ता राजेश मिश्रा उनके साथ इस केस का पक्ष रखने के लिए जिलाधीश कार्यालय में बिलासपुर की तत्कालीन डी.सी. मानसी सहाय ठाकुर के समक्ष पेश हुए तो उन्होंने इस वकालतनामे को मानने से इंकार कर दिया व अधिवक्ता को कार्यालय से चले जाने को कहा। यह उनके कानूनी व संवैधानिक अधिकारों का हनन था।

कोर्ट के सुनवाई करने के बाद सुनाया फैसला
इसी विषय पर उन्होंने कोर्ट में तत्कालीन डी.सी. मानसी सहाय ठाकुर के खिलाफ केस दायर कर दिया था जिसके बाद मानसी सहाय ठाकुर ने उनके ऊपर दायर इस केस को गलत बताते हुए ऑर्डर-7 रूल-11 (डी) के तहत इसे खारिज करने की मांग कोर्ट से की थी लेकिन कोर्ट ने उनके  इस प्रार्थना पत्र नंबर 212-6 ऑफ 2016 पर सुनवाई करने के बाद कहा कि प्रारंभिक दृष्टि से यह लगता है कि  पूर्व सैनिक मदन लाल के कानूनी व संवैधानिक अधिकारों का हनन हुआ है। लिहाजा इस मुकद्दमे को रद्द नहीं किया जा सकता।