सैनिक सम्मान के साथ लैफ्टिनैंट मुनीष को दी अंतिम विदाई, ऐसे हुई थी दर्दनाक मौत

Wednesday, Dec 20, 2017 - 09:49 PM (IST)

सिहुंता: सड़क हादसे में मौत का ग्रास बने सिहुंता निवासी लैफ्टिनैंट मनीष कुमार का अंतिम संस्कार सैनिक सम्मान के साथ सिहुंता के समीप बुधवार को किया गया। धर्मशाला के समीप खड़ोता नामक स्थान पर मंगलवार रात को कार दुर्घटना का शिकार हुए लैफ्टिनैंट मुनीष कुमार का शव टांडा मैडीकल कालेज में पोस्टमार्टम के उपरांत बुधवार दोपहर को सिहुंता स्थित आवास में लाया गया। शव को सिहुंता लाने पर चारों ओर माहौल गमगीन हो गया। शव को सैनिक सम्मान के साथ सिहुंता के समीप स्थापित श्मशानघाट तक पहुंचाया गया, जहां पर बकलोह व डल्हौजी की बिहार रैजीमैंट व धर्मशाला से सिख रैजीमैंट ने सैनिक सम्मान के साथ लैफ्टिनैंट को अंतिम विदाई दी तथा मृतक के पिता ईश्वर सिंह को तिरंगा झंडा सौंपा। मृतक मुनीष कुमार के पार्थिव शरीर को उसके पिता ईश्वर सिंह ने मुखाग्नि दी। इस दौरान आर्मी अधिकारियों ने सांत्वना देते हुए कहा कि लैफ्टिनैंट की अचानक हुई मौत से परिवार के साथ देश को भी भारी क्षति हुई है। 

इसी वर्ष लैफ्टिनैंट बना था मुनीष 
मुनीष कुमार ने इसी वर्ष अगस्त महीने में देहरादून में प्रशिक्षण प्राप्त कर लैफ्टिनैंट बनकर इलाके का नाम रोशन किया था। मुनीष कुमार वर्तमान में सिक्किम में तैनात था तथा अपने पिता का हार्ट का आप्रेशन करवाने के लिए 2 दिन पहले ही घर आया था और 1 सप्ताह के अवकाश के बाद सिक्किम जाने की योजना थी परंतु किसे पता था कि एक सड़क हादसा इस सफर को अंतिम सफर में बदल देगा। मुनीष कुमार के पिता आर्मी से सेवानिवृत्त होने के उपरांत वर्तमान में डी.एस.सी. की नौकरी डल्हौजी में कर रहे हैं तथा उनका बुधवार को चंडीगढ़ के एक अस्पताल में हार्ट का आप्रेशन भी होना था परंतु इस पिता को क्या पता था कि जिस दिल का आप्रेशन हो रहा है उस दिल का एक टुकड़ा उससे सदा के लिए दूर होने जा रहा है परंतु फिर भी दिल पर हाथ रखकर अपने पुत्र के अंतिम क्रियाकरम में अपने कर्तव्य का पालन एक पिता को करना पड़ा।

2 बहनों का था इकलौता भाई 
सड़क दुर्घटना में मारा गया लैफ्टिनैंट मुनीष कुमार अपने पीछे 2 बहनों व माता-पिता को छोड़ गया है। बड़े लाड-प्यार से मुनीष कुमार का पालन-पोषण होने के उपरांत कम आयु में ही वह राजपूताना राइफल में भर्ती हो गया था और अपनी प्रतिभाओं का प्रदर्शन करते हुए लैफ्टिनैंट का पद हासिल कर चुका था परंतु होनी को कुछ और ही मंजूद था कि उसे इतनी कम उम्र में ही इस दुनिया से रुखसत होना पड़ा।