भू-मालिकों को राज्य सरकार ने दी बड़ी राहत, पढ़ें पूरी खबर

Tuesday, Apr 25, 2017 - 12:42 PM (IST)

शिमला: राज्य सरकार ने भू-मालिकों को बड़ी राहत दी है। अब सरकार ने निजी भूमि से 23 प्रजातियों के पेड़ काटने की अनुमति दे दी है। कमर्शियल मकसद से कटान के लिए टैन ईयर फैलिंग प्रोग्राम का इंतजार नहीं करना होगा।  इस संबंध में कैबिनेट का फैसला लागू हो गया है। सरकार ने एल.पी.ए. और ट्रांजिट लैंड रूट रूल्स में छूट दी है। जिन पेड़ों के कटान पर पाबंदी हटाई गई है उनमें निम्र शामिल हैं।


बान के केवल 5 पेड़ काटे जा सकेंगे
काला सिरिस, कचनार, सफेदा, किमू, पॉपलर, भारतीय विलो, बांस, जापानी शहतूत, कुनिश, खिड़क/खड़की, दरेक, फगूड़ा, तून, जामुन, टीक, अर्जुन, सेमल, बिहुल, पाजा, कामला, आम की वन्य प्रजाति, रीठा और बान। बान के केवल 5 पेड़ काटे जा सकेंगे, इससे अधिक नहीं। इन पेड़ों को टैन ईयर फैलिंग प्रोग्राम में रखा गया था। इसके लिए हर 10 साल के बाद बीट खुलती थी। इसमें वन विभाग पहले निजी भूमि मालिकों के जमीन की डिमार्केशन करवाता था तथा उसके बाद पेड़ मार्क होते थे। एक पेड़ के बदले 3 नए पेड़ रोपने होते थे। अब औपचारिकताएं पहले से काफी कम हो गई हैं। पेड़ों की लकड़ी को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए केवल रेंजर की इजाजत लेनी होगी। डिमार्केशन भू-मालिक खुद करवाएगा।


देवदार, खैर और चीड़ में छूट नहीं
सरकार ने देवदार, चीड़ और खैर के पेड़ों के कटान में नियमों में कोई छूट नहीं दी है। ये टैन ईयर फैलिंग प्रोग्राम का ही हिस्सा हैं। 10 साल के बाद भी इन पेड़ों को निजी जमीन से ही काट सकते हैं। सरकारी भूमि या वन भूमि से पेड़ काटने पर पूरी तरह से रोक है। इस रोक को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में केस चल रहा है। सरकार चाहती है कि सरकारी भूमि से चीड़ के हरे पेड़ काटने की इजाजत मिल जाए ताकि सरकार के राजस्व में बढ़ौतरी हो सके। अभी तक सरकारी व वन भूमि से केवल गिरे और सूखे पेड़ों को ही वन निगम के माध्यम से काटा जा सकता है।