लाहौल में पटरी से उतरने लगी परिवहन व्यवस्था, एकमात्र पैट्रोल पंप बंद

Thursday, Dec 13, 2018 - 04:10 PM (IST)

उदयपुर (जगमोहन): लाहौल में परिवहन व्यवस्था पटरी से उतरने लगी है। तांदी स्थित लाहौल का एकमात्र पैट्रोल पंप बंद हो जाने पर टैक्सियों और निजी गाड़ियों के लिए ईंधन मिलना नामुमकिन हो गया है। पैट्रोल पंप के अगले 5 माह तक बंद रहने की स्थिति में सभी निजी वाहनों की रफ्तार थम जाने की संभावना पैदा हो चुकी है। उधर, प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि पैट्रोल पंप में रिजर्व स्टॉक मौजूद है जो मार्च-अप्रैल के महीनों के दौरान कृषि कार्यों में प्रयुक्त होने वाले टिल्लर इत्यादि के लिए वितरित किया जाएगा। पैट्रोल पंप में गाड़ियों के लिए ईंधन रोहतांग दर्रे की बहाली के बाद ही उपलब्ध हो सकेगा। 

तेल दो या रोड टैक्स माफ करो

उदयपुर में पूर्व भाजयुमो अध्यक्ष हरि ठाकुर ने कहा कि यह टैक्सी आप्रेटर्ज से अन्याय हुआ है। ईंधन के बिना उन्हें खड़ी गाड़ियों का रोड टैक्स अदा करना पड़ता है। लाहौल में पैट्रोल पंप बंद रहने की विपरीत परिस्थितियों के मद्देनजर उन्होंने सरकार से मांग की है कि टैक्सी आप्रेेटरों को डीजल और पैट्रोल के भंडारण की अनुमति जरूरी है या फिर उनका रोड टैक्स माफ होना चाहिए।

डीजल-पैट्रोल स्टॉक करने की अनुमति दे सरकार

उदयपुर में तुलसी राम, वीर सिंह, कामी लामा व सतीश कुमार सहित कई टैक्सी आप्रेटरों का कहना है सर्दियों के लिए लाहौल के टैक्सी आप्रेटर अपने घरों में डीजल और पैट्रोल का भंडारण भी नहीं कर सकते हैं। पुलिस ने ऐसे कई लोगों को पकड़ते हुए मामले दर्ज किए हैं। जमा किया गया डीजल और पैट्रोल पुलिस ने न केवल जब्त किया है अपितु ऐसा करने वालों को जुर्माना भी भरना पड़ा है। टैैक्सी आप्रेटरों ने कहा कि एक तरफ पैट्रोल पंप बंद और दूसरी तरफ पुलिस की छापेमारी के डर से उनकी गाड़ियां कई माह तक खड़ी हो जाएंगी। जनजातीय जिला के टैक्सी आप्रेटर्ज की मुसीबतें यहीं पर भी नहीं रुक रही हैं। बताया गया है कि खड़ी गाड़ियों का भी उन्हें करीब 6 माह का रोड टैक्स सरकार को अदा करना होगा।

उदयपुर के स्थानीय लोगों का कहना है कि दूरदराज के क्षेत्रों के लिए एच.आर.टी.सी. की बस सेवाएं बंद होते ही लोग आवागमन के साधनों के लिए तरसते हैं। ऐसे में टैक्सियां उनकी मुश्किलों को आसान बना सकती हैं। पांगी घाटी से लेकर तिंदी के सलग्रां, भुजंड, नालडा, गोरमा, मालंग, वारी, नैनगाहर, चोखंग, त्रिलोकीनाथ व शकोली सहित मियाड़ की तिंगरेट और चिमरेट ऐसी पंचायतें हैं जहां अब गाडिय़ां ढूंढे नहीं मिल रही हैं। आवागमन के साधन उपलब्ध न होने की सूरत में लोग अपने घरों में कैद होकर रह जाएंगे। अपने जरूरी काम निपटाने के लिए वे चाहते हुए भी कहीं आ-जा नहीं सकेंगे। इन विपरीत हालात में टैक्सी सेवाएं उनके दुख-दर्द का सहारा बन सकती हैं मगर टैक्सी आप्रेटर खुद ही असहाय हो चुके हैं। बिना ईंधन के उनकी गाड़ियां भी कई माह के लिए खड़ी हो रही हैं।

Ekta