80 वर्ष बाद दशहरा उत्सव में आए देवता काली नाग, जोड़ा नारायण और माता रुपासना

punjabkesari.in Saturday, Oct 08, 2022 - 09:56 PM (IST)

कुल्लू (संजीव जैन): देवी-देवता अंतर्राष्ट्रीय दशहरा  उत्सव की शान बढ़ा रहे हैं। ऐसे में देवी-देवता आपस में रिश्तेदारी भी निभा रहे हैं और भव्य मिलन की प्रक्रिया को भी पूरा किया जा रहा है। मणिकर्ण घाटी के देवता काली नाग, देवता जोड़ा नारायण और देवी रूपासना भी इस साल दशहरा उत्सव की शान बढ़ा रहे हैं। ये तीनों देवी-देवता 80 वर्षों के बाद दशहरा उत्सव में शामिल हुए हैं। देवता काली नाग, माता रूपासना रिश्ते में भाई-बहन भी हैं। 8 दशकों के बाद ढालपुर मैदान में आए इन देवी-देवताओं के दर्शनों के लिए रोजाना श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है और यहां पर श्रद्धालुओं के लिए भंडारे की भी विशेष व्यवस्था की गई है। देवता काली नाग व जोड़ा नारायण एक ही रथ में विराजमान हैं, जबकि माता रूपासना का रथ काॅलेज गेट के पास भक्तों को दर्शन दे रहा है। 

बारिश के देवता माने जाते हैं देवता काली नाग
देवता काली नाग बारिश के देवता माने जाते हैं और कहा जाता है कि जब भी घाटी में सूखे की स्थिति पैदा होती है तो श्रद्धालु देवता काली नाग के दरबार में अरदास करते हैं और देवता उससे खुश होकर घाटी में बारिश भी करते हैं। माता रूपासना मणिकर्ण घाटी की 7 देवियों में प्रमुख स्थान रखती हैं और माता की इलाके में काफी मान्यता भी हैं। मान्यता है कि माता के दरबार में जो भी मन्नत मांगी जाती है वह पूर्ण हो जाती है। इसके अलावा जिन लोगों में बुरी आत्माओं का साया हो तो वे भी माता के दरबार में जाकर भाग जाती हैं। लोगों में मान्यता है कि माता के दरबार में जाकर तत्काल प्रभाव से दीन-दुखियों को लाभ मिलता है। यही कारण है कि माता के दरबार में दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं। 

क्या कहना है देवता से जुड़े लोगों का 
यहां पर माता के हारियानों द्वारा श्रद्धालुओं के लिए विशेष प्रकार के लंगर की व्यवस्था रहती है। देवता काली नाग के पुजारी रिंकू सोनी ने बताया कि बुजुर्गों से उन्हें पता चला है कि देवता 80 वर्षों के बाद दशहरा उत्सव में भाग लेने आए हैं और यहां पर देवता के दर्शनों के लिए भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। देवता सभी लोगों की मनोकामनाएं पूर्ण करने वाले हैं और देवता के सभी त्यौहारों को भी प्रमुखता के साथ मनाया जाता है। देवता जोड़ा नारायण के गुर लोत राम का कहना है कि देवता बारिश के लिए जाने जाते हैं। कई बार घाटी में सूखे की स्थिति हुई और लोगों ने देवता से गुहार लगाई। गुहार से प्रसन्न होकर देवता ने घाटी में बारिश की और लोगों को खुशहाली का भी वरदान दिया है। ऐसे में देवता की मणिकर्ण के अलावा अन्य इलाकों में भी काफी मान्यता है।

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Content Writer

Vijay

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