अमृतसर के कालाकारों ने चम्बा की लोकगाथा ‘लूणा’ से किया भाव-विभोर

Monday, Sep 09, 2019 - 04:41 PM (IST)

कुल्लू: एक्टिव मोनाल कल्चरल एसोसिएशन कुल्लू द्वारा भाषा एवं संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश के संयुक्त तत्वावधान में कलाकेंद्र कुल्लू में आयोजित किए जा रहे ‘कुल्लू राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव’ की 5वीं व अन्तिम संध्या में अमृतसर के कलाकारों ने चम्बा की लोकगाथा पर आधारित नाटक ‘लूणा’ का भव्य मंचन किया और इसी के मंचन के साथ ‘कुल्लू राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव’ समापन हो गया। समापन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि भुट्टिको के चेयरमैन व पूर्व बागवानी मंत्री सत्य प्रकाश ठाकुर ने शिरकत की और अपने संबोधन में स्वर्गीय लाल चंद प्रार्थी को याद करते हुए कहा कि इस मंच पर पृथ्वी राज कपूर और हबीब तनवीर जैसे नाट्य शिल्पियों ने नाटक प्रस्तुत किए हैं और कहा कि आज कई राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित निर्देशक केवल धालीवाल के नेतृत्व में हुई इस नाट्य प्रस्तुति को भी मैं उन्हीं की प्रस्तुतियों के समकक्ष देखता हूं। प्रसिद्ध पंजाबी कवि शिव कुमार बटालवी द्वारा रचित तथा केवल धालीवाल द्वारा निर्देशित यह नाटक लूणा के माध्यम से आंतरिक स्वतंत्रता के बारे में कहता है और उसके आंतरिक मनोभावों को खूबसूरती से व्यक्त करता है।

लूणा के आंतरिक मनोभावों को व्यक्त करता है नाटक

लूणा एक मोची की बहुत ही सुंदर लड़की है। राजा सलवान अपने मित्र वर्मन को चम्बा शहर मिलने जाता है। जहां वह लूणा को देखता है और देखते ही अपने दोस्त से कहता है कि वह लूणा से शादी करना चाहता है। लूणा और सलवान का ब्याह सम्पन्न हो जाता है। राजा पहले से ही शादीशुदा है। पहली पत्नी इशरां का एक लड़का पूरण है, जो लगभग 18 सालों से कैदखाने में बंद है, क्योंकि किसी ज्योतिषी ने कहा है कि यह लड़का जब तक 18 वर्ष का नहीं हो जाता, तब तक माता-पिता के लिए इसे देखना अशुभ है। राजा द्वारा दूसरी शादी करने की खबर मिलते ही इशरां अपने मायके चली जाती है। राजा बूढ़ा होने के कारण लूणा की शारीरिक आवश्यकता को पूरा नहीं कर पाता। इसी बीच पूरण को कैदखाने से आजाद किया जाता है। पूरण एक सुंदर दिखने वाला खूबसूरत नौजवान है।

लोकगाथा को कलाकेंद्र के मंच पर जिंदा कर दिया

काम पिपासा से ग्रसित लूणा उसे प्रेम प्रस्ताव देती है, लेकिन पूरण उसे मां जैसे समझता है और उसके प्रेम प्रस्ताव को ठुकरा देता है। लूणा पूरण को राजा के सामने दोषी करार देती है और कहती है कि इसने मुझे मजबूर करने की कोशिश की। राजा सलवान अति भावना में भरा जल्लाद को पूरण के टुकड़े-टुकड़े करने को कहता है। केवल धलीवाल समेत मनदीप घई, साजन सिंह, जतिंद्र कौर, डौली सड्ल, सुखविंद्र विर्क, वीरपाल कौर व सर्बजीत लाडा आदि कलाकारों ने अपनी-अपनी भूमिकाएं खूबसूरती से निभा कर इस लोकगाथा को कलाकेंद्र के मंच पर जिंदा कर दिया।

 

Kuldeep