जानिए कैसे पड़ा जमानाबाद व अब्दुल्लापुर गांवों का नाम

Wednesday, May 05, 2021 - 11:16 AM (IST)

गग्गल (सुरेन्द्र अनजान ): जिला कांगड़ा के प्रसिद्ध गांवों जमानाबाद व अब्दुल्लापुर के बारे श्रीकृष्ण कीर्तन सभा अब्दुल्लापुर के प्रधान अमर सिंह खैरा, प्रवक्ता मदन वर्मा तथा गांव जमानाबाद के निवासी व हिम कला संस्कृति एवं नाट्य रंग मंच जिला कांगड़ा के निदेशक सुरिंद्र पनियारी ने बताया कि गांव जमानाबाद का नाम नामी पहलवान जमाल खान के नाम पर पड़ा है। साथ ही गांव अब्दुल्लापुर का नाम उसके सगे भाई नामी पहलवान अब्दुल खान के नाम पर रखा गया था। उन्होंने बताया कि अपने समय में वह काफी प्रसिद्ध पहलवान थे, जिनकी ख्याती दूर-दूर तक थी। दोनों गांवों की ऐतिहासिक जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि प्राचीन काल में इन गांवों के क्षेत्र में लगभग 108 प्राकृतिक जल स्त्रोत थे जिनकी संख्या अब घटकर 50 के करीब रह गई है लेकिन गांव अब्दुल्लापुर में सदियों पुराना एक ऐसा ऐतिहासिक कुआं हैं जिसमें गर्मियों में ठंडा जल तथा सर्दियों में गर्म जल सदाबहारी कुएं में रहता है।

गांवों में 2 दशक पहले शुरू हुआ था मिंजर मेला
उधर गांववासी बताते हैं कि लगभग 2 दशक पूर्व गांव के निवासी तत्कालीन मंत्री चौधरी विद्यासागर द्वारा मिंजर मेले की शुरुआत की थी। उस समय इस मेले की शुरुआत अब्दुल्लापुर गांव में होती थी और इसका समापन जमानाबाद की मनूनी खड्ड में किया जाता था, लेकिन अब यह मेला 7 दिन जमानाबाद में ही मनाया जाता है। ग्राम पंचायत जमानाबाद के प्रधान कुलदीप कुमार तथा गांववासियों ने सरकार से मांग की है कि 7 दिन मनाए जाने वाले इस मिंजर मेले को राज्य स्तरीय दर्जा प्रदान किया जाए। उधर ग्राम पंचायत अब्दुल्लापुर की प्रधान सपना देवी ने बताया कि उनके ऐतिहासिक गांवों में कभी पानी की समस्या नहीं आई। प्राकृतिक जल स्त्रोतों में हमेशा जल रहता है।

यहां हर जाति वर्ग के रहते हैं लोग
गांववासियों देसराज, मदन चौधरी, राकेश कुमार, भगवान दास आदि बताते हैं कि दोनों गांवों में हर जाति वर्ग के लोग रहते हैं। इनमें स्वर्णकार, कलाकार, कुम्हार, लोहार, तरखान, मिस्त्री, ब्राह्मण, खत्री, नाई, हलवाई, कसाई आदि शामिल हैं। गांव अब्दुल्लापुर में ही चार्जी परिवार रहते हैं जो आसपास के लगभग 1 दर्जन गांवों में लोगों की मरणोपरांत रस्में करवाते हैं। उधर गांव अब्दुल्लापुर की श्रीकृष्ण कीर्तन सभा लगभग 65 वर्ष से न केवल घर-घर जाकर कीर्तन करती है बल्कि सर्वप्रथम गांव में स्कूल इसी सभा ने चलाया था जो बाद में सरकार द्वारा अधिग्रहित कर लिया था। इसका दर्जा अब जमा 2 का है। इस सभा ने आज तक अनेक निर्धन लड़कियों की शादियों में महत्वपूर्ण योगदान देकर विभिन्न सहायतें प्रदान की हैं। गांव में विवाह-शादियां व अन्य समारोह आदि करने के लिए श्रीकृष्ण कीर्तन सभा ने भवन भी बनवाया हुआ है।

 

 

Content Writer

Jinesh Kumar