यहां 2 हफ्तों से धधक रहे जंगल, करोड़ों की वन सम्पदा राख

Saturday, Nov 19, 2016 - 08:12 PM (IST)

रिकांगपिओ:  हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिला मुख्यालय के साथ लगते क्षेत्र की 3 पंचायतों के जंगल 2 हफ्तों से धधक रहे हैं  लेकिन सरकारी स्तर पर आग पर काबू पाने के कोई पुख्ता इंतजाम अब तक नही हुए हैं। इस घटनाक्रम में वन विभाग की कार्यप्रणाली पर भी प्रश्न चिन्ह लग गया है। क्षेत्र के लोगों के अनुसार विलुप्तप्राय: चिलगोजा और दियार के हजारों छोटे-बड़े पेड़ अब तक आग की भेंट चढ़ चुके हैं। करोड़ों की वन सम्पदा स्वाह हुई है। हालांकि आग बुझाने के लिए स्थानीय लोगों के साथ आईटीबीपी, होमगार्ड, वन और अग्निशमक विभाग ने भी प्रयास किए लेकिन आग अब भी बेकाबू है। 

 लोगों का कहना है कि 6 नवम्बर को पूर्वणी के जंगल में आग लगी जिसकी सूचना उन्होंने वन विभाग को दी। लोगों ने वनरक्षक को मौके का मुआयना करने के लिए कहा लेकिन वनरक्षक ने इसे गम्भीरता से नहीं लिया। 7 नवम्बर को तूफान के करण आग ने जंगल के बड़े हिस्से को घेर लिया और धीरे-धीरे आग बेकाबू होती गई। वन विभाग द्वारा सकारात्मक प्रयास न किए जाने का भी लोग आरोप लगा रहे हैं। 
 लोगों का यह भी कहना है कि हजारों पेड़-पौधे इस क्षेत्र में जल गए लेकिन वन विभाग के अधिकारी क्षेत्र में अब तक नहीं पहुंचे हैं। 

बताया जा रहा है कि आग पूर्वणी, आशपा, किब्बर से होते हुए रिब्बा के जंगलों तक पहुंची। उसके बाद उसने जिला मुख्यालय के ठीक सामने पोवारी के जंगलों को अपनी चपेट में ले लिया। 2 दर्जन से अधिक आईटीबीपी के जवान व होमगार्ड के जवान भी आग बुझाने में लगे रहे  लेकिन वन विभाग अपने आधा दर्जन  कर्मी भी इस आगजनी को काबू पाने के लिए नही भेज पाया है।  रिब्बा, पूर्वणी और पोवारी के लोग भी यथासम्भव आग बुझाने जा रहे हैं। जंगल में पानी की उपलब्धता न होने और आधुनिक उपकरण न होने से सभी प्रयास विफल साबित हो रहे हैं।  

पूर्वणी पंचायत के प्रधान शेर सिंह और उपप्रधान महेश ने बताया कि 6 नवम्बर से जंगल में आग लगी है। आग को बुझाने के लिए ग्रामीण लगातार प्रयास कर रहे हैं। इसके अलावा आईटीबीपी, होमगार्ड और वन विभाग के क्षेत्रीय कर्मी भी इस प्रयास में जुटे हैं लेकिन आग पर काबू पाना मुश्किल हो गया है। वहीं इस बारे वन अरण्यपाल रामपुर अनिल ठाकुर ने बताया कि आग को बुझाने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन विकट क्षेत्र होने के कारण आग पर काबू पाना मुश्किल है।