हिमाचल के एकमात्र टांकरी लिपि के ज्ञाता खूब राम खुशदिल का निधन

punjabkesari.in Friday, Nov 27, 2020 - 05:56 PM (IST)

कुल्लू (ब्यूरो): अभी तक भोटी के विद्वान छेरिंग दोरजे के निधन से लेखक साहित्यकार उबर नहीं पाए थे कि एक और भाषा और लिपि के ज्ञाता खूब राम खुशदिल भी इस संसार को छोड़कर चले गए। अखिल भारतीय इतिहास संकलन समिति के प्रांत कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. सूरत ठाकुर ने कहा कि खूब राम खुशदिल पूरे हिमाचल प्रदेश में एकमात्र टांकरी लिपि के ज्ञाता थे।

उन्हें कुल्लू, मंडी, कांगड़ा, चम्बा, महासुई और सिरमौरी में लिखी जाने वाली टांकरी लिपि का ज्ञान था। हिमाचल भाषा अकादमी के लिए उन्होंने बहुत सी पांडुलिपियों का अनुवाद करके दिया था। उनके पास टांकरी में लिखी हुई आयुर्वेद, तंत्रशास्त्र, ज्योतिष तथा इतिहास की अनेक पांडुलिपियां मौजूद थीं। उन्होंने टांकरी सीखने वालों के लिए एक पुस्तिका भी तैयार की थी। कुल्लूत संस्कृति विकास मंच के अध्यक्ष तोबदन व महासचिव हीरा लाल ठाकुर ने कहा कि खूब राम खुशदिल टांकरी के साथ-साथ कुल्लवी संस्कृति के विद्वान भी थे।

वहीं इतिहास संकलन समिति के प्रदेश मंत्री दानवेंद्र सिंह, केहर सिंह ठाकुर, देवेंद्र गौड़, जयदेव विद्रोही, दीपक कुल्लवी, ज्ञान चंद चम्बयाल, सरला चम्बयाल, सतीश कुमार लोपा व जीतराम सूद ने कहा कि विलुप्त हो रही टांकरी लिपि को सहेजने के साथ-साथ खुशदिल महान विद्घान एवं विचारक भी थे। उधर, शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर, विधायक सुरेंद्र शौरी, विधायक किशोरी लाल सागर, भाजपा के वरिष्ठ नेता युवराज बौद्ध, सेवानिवृत्त जिला भाषा अधिकारी सीता राम ठाकुर, जिला भाषा अधिकारी सुनीला ठाकुर व शिक्षाविद् डॉ. पारस शर्मा ने कहा कि उनके जाने से समाज तथा शिक्षा जगत को जो क्षति हुई है, उसकी भरपाई करना असंभव है।


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Vijay

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