कसौली गोलीकांड को एक साल पूरा, पीड़ित परिवारों से किए कुछ वायदे हुए पूरे तो कुछ अधूरे

Wednesday, May 01, 2019 - 10:06 AM (IST)

सोलन (पाल): देश को झकझोर कर रख देने वाला कसौली गोलीकांड को बुधवार को एक वर्ष पूरा हो गया। एक मई, 2018 को करीब 2 बजे के आसपास नारायणी गैस्ट हाऊस में हुए इस गोलीकांड का देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था। इस एक वर्ष में सरकार ने पीड़ित परिवारों से किए गए कुछ वायदे पूरे कर दिए हैं तो कुछ आज भी अधूरे हैं। गोलीकांड में शहीद हुई ए.टी.पी. शैलबाला व लोक निर्माण विभाग के कर्मचारी गुलाब सिंह के परिजनों को उनके वेतन के बराबर पैंशन मिलनी शुरू हो गई है लेकिन शहीद गुलाब सिंह की बेटी की नौकरी की फाइल अभी सरकारी कार्यालयों में ही घूम रही है। 

इस मामले में अभी तक धीमी गति से चल रही कार्रवाई से शहीद शैलबाला का परिवार संतुष्ट नहीं है। उनका कहना यह भी कहना है कि इस मामले में जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। जिला प्रशासन ने एक मई, 2018 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 13 होटलों के अवैध निर्माण को गिराने की कार्रवाई शुरू की थी। इसके लिए 4 टीमों का गठन किया था। ए.टी.पी. अधिकारी शैलबाला पहली टीम की संयोजक थीं। दोपहर के वक्त आरोपी विजय सिंह ने ए.टी.पी. शैलबाला पर गोली चला दी। इस घटना में शैलबाला की मौके पर ही मौत हो गई जबकि गुलाब सिंह गंभीर रूप से घायल हो गया जिसकी बाद में पी.जी.आई. में मृत्यु हो गई।

इस घटना को अंजाम देने के बाद आरोपी मौके से फरार हो गया और जिसे कुछ दिनों बाद गिरफ्तार किया था। सरकार ने गोलीकांड में शहीद हुई ए.टी.पी. शैलबाला व गुलाब सिंह को हिमाचल गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया और घोषणा की थी कि जब तक इनकी रिटायरमैंट की आयु पूरी नहीं होगी तब तक इनके परिजनों को पूरा वेतन मिलेगा। इस मामले में सरकार ने पुलिस अधिकारियों के साथ-साथ वहां पर मौके पर मौजूद पुलिस कर्मचारियों पर भी कार्रवाई की थी। तत्कालीन एस.पी. व डी.एस.पी. सहित 5 अधिकारियों को निलम्बित ही कर दिया था जो बाद में बहाल हो गए थे।

बेटी की अभी नौकरी नहीं लगी

विभाग से बेटी की नौकरी के लिए दरखवास्त की हुई है। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि नौकरी मिल जाएगी लेकिन समय लगेगा। सरकार ने इसके अलावा जो वायदे किए थे वह पूरे किए हैं।

12 टी.सी.पी. के अफसर हुए चार्जशीट

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाई और उन अधिकारियों के नाम मांगे थे जिनके समय में यह अवैध निर्माण हुआ था। सुप्रीम कोर्ट में अगस्त माह में हुए सुनवाई में टी.सी.पी. के 12 अफसरों के नाम दिए गए थे जिनमें समय में यह अवैध निर्माण हुए थे। इसके बाद इन सभी अफसरों को कारण बताओ नोटिस जारी हुए थे।

Ekta