आज से 6 माह के लिए बंद हो जाएंगे कार्तिकेय मंदिर के कपाट

Thursday, Nov 30, 2017 - 12:05 AM (IST)

भरमौर: धार्मिक मान्यताओं का अनुसरण करते हुए बैसाखी पर्व तक अब कार्तिकेय स्वामी के दर्शन श्रद्धालुओं को नहीं होंगे। कुगती स्थित कार्तिकेय स्वामी के मंदिर के कपाट 30 नवम्बर को सुबह 11 बजे 6 माह के लिए बंद हो जाएंगे। 6 माह तक मंदिर में अब न तो कोई पूजा-पाठ होगा और न ही कोई धार्मिक अनुष्ठान ही मंदिर में होगा। कर्तिकेय स्वामी मंदिर कुगती के मुख्य पुजारी जोधा राम ने बताया कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार विधि विधान से मंदिर के कपाट 6 महीनों के लिए बंद कर दिए जाते हैं। इन सर्दियों के 6 महीनों के दौरान किसी भी व्यक्ति को मंदिर के अंदर जाने, पूजा-पाठ करने तथा जगराता इत्यादि करने की अनुमति नहीं होती। इन 6 महीनों के समय को देवताओं का (स्थानीय भाषा में) अंदरोल कहा जाता है। देवताओं के इस अंदरोल का उल्लंघन करने का खमियाजा देवताओं के गुस्से के रूप में किसी भी अनहोनी के रूप में पूरे इलाके को भुगतना पड़ता है। इसी डर के कारण कोई भी व्यक्ति अंदरोल तोडऩे का साहस नहीं करता। 

इन मंदिरों पर भी लटकेंगे ताले
इसके अतिरिक्त पूरे भरमौर जनजातीय क्षेत्र के सभी मंदिरों जैसे बन्नी माता मंदिर, भरमाणी माता, इंद्रू नाग क्वारसी, संधोला नाग मंदिर गुआड, दिगनपाल मंदिर बडग्रां, वुहारी मंदिर खणबग्गा के अतिरिक्त मणिमहेश डल झील सहित ऊपरी पहाड़ों पर स्थित सभी देव स्थलों पर 6 महीनों का अंदरोल हो जाता है। किसी भी अनहोनी के डर से कोई भी व्यक्ति इन देव स्थलों की ओर जाने व अंदरोल तोडऩे का साहस नहीं करता है। नए साल में हर वर्ष बैसाखी के दिन ढोल-नगाड़ों, जयकारों एवं उदघोषों के साथ रात जागरण के बाद पुन: यात्रियों के दर्शनों के लिए खोल दिए जाते हैं। यात्रियों को दर्शनों की अनुमति मिल जाती है। यह प्रक्रिया हर वर्ष ऐसे ही चलती है। 

बर्तन का पानी बताएगा कि समृद्धि या बरपेगा कहर
कार्तिकेय स्वामी मंदिर कुगती के मुख्य पुजारी जोधा राम ने बताया कि मान्यताओं के अनुसार मंदिर के कपाट बंद करने से पहले पानी से भरे हुए एक बर्तन को अंदर रखा जाता है, जिसे वैसाखी के दिन कपाट खुलने के समय देखा जाता है कि अगर वह बर्तन पानी से ज्यों का त्यों भरा होगा तो सुख-समृद्धि रहेगी और अगर इसमें पानी सूख गया हो तो किसी अप्रिय घटना या प्राकृतिक आपदाओं का अंदेशा बना रहता है।