अब वीरान खेतों में अपनी महक बिखरेगी कांगड़ा चाय, किसानों की आय में होगी वृद्धि

Friday, Mar 08, 2019 - 11:56 AM (IST)

पालमपुर : बंदरों व बेसहारा पशुओं से वीरान हुए खेतों में अब कांगड़ा चाय लहलहाएगी। कांगड़ा में गैर परंपरागत क्षेत्रों को चाय उत्पादन से जोडऩे की कवायद आरंभ की गई है। ऐसे में देहरा तथा नूरपुर क्षेत्र में भी कांगड़ा चाय अपनी महक बिखरेगी। कृषि विभाग ने गैर परंपरागत क्षेत्रों को चाय उत्पादन से जोडऩे के लिए कार्य योजना तैयार की है। जानकारी अनुसार गैर परंपरागत चाय उत्पादक क्षेत्रों में चाय उत्पादन के लिए लगभग डेढ़ सौ हैक्टेयर क्षेत्र को चिन्हित किया गया है। कृषि विभाग ने उन क्षेत्रों को प्रमुखता के आधार पर चिन्हित किया है जहां किसान बंदरों तथा बेसहारा पशुओं के कारण खेतीबाड़ी से तौबा कर चुके हैं।

किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य को भी प्राप्त किया जाएगा। विशेषज्ञों के अनुसार २ बीघा क्षेत्र में चाय उत्पादन से किसान 30 से 40 हजार रुपए की आय प्रतिवर्ष प्राप्त कर सकता है। विभाग द्वारा लंबागांव, दगोह, नूरपुर व देहरा आदि क्षेत्रों में कुछेक परंपरागत स्थानों को चिन्हित किया है। इसी कड़ी में कृषि विभाग तकनीकी अधिकारी चाय कार्यालय द्वारा दगोह में प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर में किसानों को चाय उत्पादन के संबंध में जानकारी उपलब्ध करवाई गई। इस अवसर पर आतमा परियोजना निदेशक डी.के. अवस्थी, टी बोर्ड के अधिकारी तथा अन्य उपस्थित रहे।

कम हो रहा चाय का क्षेत्र

कांगड़ा चाय की विडंबना यह है कि कभी लगभग 4300 हैक्टेयर क्षेत्र चाय के अंतर्गत था परंतु समय के साथ क्षेत्र में कमी आई तथा वर्तमान में लगभग 2312 हैक्टेयर ही चाय उत्पादन के अंतर्गत रह गया है जिसमें से भी लगभग 1100 हैक्टेयर क्षेत्र में ही गुणवत्तायुक्त चाय का उत्पादन हो रहा है। एक सर्वे के अनुसार बैजनाथ, धर्मशाला, कांगड़ा तथा पालमपुर में 3679 चाय उत्पादक ही चाय उत्पादन से जुड़े थे। इस सर्वेक्षण में 2372 हैक्टेयर क्षेत्र में चाय उत्पादन सामने आया था जबकि 469.4 हैक्टेयर क्षेत्र ने नैगलैक्टेड तथा 625 हैक्टेयर क्षेत्र अवांडिड पाया गया था। सबसे अधिक 258.28 हैक्टेयर नैगलैक्टेड क्षेत्र पालमपुर एरिया में पाया गया था जबकि 312.89 अवांडिड क्षेत्र बैजनाथ में सर्वे में सामने आया था। इसके पश्चात हुए सर्वे में भी स्थिति भिन्न नहीं रही है।

kirti