ठंड व बीमारी से जिंदगी की जंग हारा बहादुर

Monday, Jan 21, 2019 - 04:50 PM (IST)

परौर (ब्यूरो): लो चला गया बहादुर। जाना तो एक दिन सबको है लेकिन मानवता इस तरह शर्मसार होगी, सोचा नहीं था। अब तक तो ऐसा पालतू पशुओं के साथ हो रहा था, जब वे काम के न रहें तो उन्हें बेसहारा छोड़ देते हैं लेकिन मानवता के तराजू में ऐसी दयनीय दशा आदमी के लिए बन जाएगी, अब तक सुनने को नहीं मिला था। कुछ ऐसा ही हुआ नेपाली मूल के बहादुर के साथ, जिसका अपना कोई नहीं था। एक जगह काम करने लगा तो मालिकों को ही अपना परिवार समझ बैठा। दिन-रात मेहनत-मजदूरी कर काम करता रहा। मालिक भी उसकी 10-15 वर्षों की सेवा में लाखों कमा गए लेकिन जब उम्र ने साथ छोड़ा और बहादुर के शरीर ने काम करना छोड़ दिया तो ऐसे बुढ़ापे व बीमारी की स्थिति में उसे रेन शैल्टर में भगवान भरोसे छोड़ दिया। तकरीबन 2-3 माह से बहादुर के लिए परौर का रेन शैल्टर ही घर बन गया था। कोई दया कर जाता तो उसे खाना खिला देता।

अस्पताल से उपचार के बाद फिर छोड़ दिया मरने के लिए

स्थानीय दुकानदार व लोगों ने बीमारी की हालत में उसकी सुध ली तो उसे पालमपुर अस्पताल भी उपचार के लिए भेजा लेकिन वहां भी मानवता शर्मसार होनी थी, जहां उपचार के बाद सर्दी के इस मौसम में भी उसे उसके घर रेन शैल्टर मरने के लिए छोड़ दिया गया। रविवार को बहादुर ने अंतिम सांस ली। स्थानीय निवासी मनोज ने बताया कि 2-3 माह से बहादुर रेन शैल्टर में रह रहा था। गर्म कपड़े व कंबल उसे स्थानीय दुकानदारों व लोगों ने दिए थे। दवा-दारू भी वही सब लोग देख रहे थे लेकिन जहां काम करता था, वहां से उसकी कोई सुध लेने नहीं आया।þ

शव की नहीं हुई पहचान

पुलिस ने मौके पर पहुंच कर शव को कब्जे में ले लिया। अभी तक इस व्यक्ति की पहचान नहीं हो पाई है। इस व्यक्ति का शव पालमपुर अस्पताल में रखा है जिसका सोमवार को पोस्टमार्टम किया जाएगा। पुलिस ने एस.डी.एम. पालमपुर से तय समय सीमा के बाद इसके अंतिम संस्कार की इजाजत भी मांगी है। डी.एस.पी. विकास धीमान ने मामले की पुष्टि की है।

Kuldeep