सरकार जी! कांगड़ा में आयुर्वेदिक विभाग की लो सुध, 231 पद खाली

Wednesday, Jun 27, 2018 - 09:33 AM (IST)

धर्मशाला: जड़ से रोगों का खात्मा करने के लिए लोग आयुर्वेद की ओर जाते हैं लेकिन आयुर्वेदिक चिकित्सकों समेत सहयोगी स्टाफ की कमी के चलते लोगों को मजबूरी वश अन्य चिकित्सा पद्धितयों का सहारा लेना पड़ रहा है। बता दें कि जिला कांगड़ा में आयुर्वेद अस्पताल सहित करीब 69 आर्युवेदिक संस्थानों में इसके माध्यम से मरीजों का उपचार किया जा रहा हैं, लेकिन इन केंद्रों में विभिन्न कर्मचारियों के करीब 231 पद खाली चल रहे हैं। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि विभाग की ओर उदासीन रवैया ही देखने को मिल रहा है। आबादी के हिसाब से प्रदेश के सबसे बड़े जिला में इतने ज्यादा स्टाफ का टोटा होने से कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। 


इतने पद चल रहे हैं रिक्त 
उल्लेखनीय है कि आधुनिक जीवनशैली के चलते लोग अंग्रेजी दवा से अधिक जड़ी-बूटियों वाली दवाई को तवज्जो देते हैं लेकिन यहां पर स्टाफ का टोटा होने से मजबूरीवश लोगों को एलोपैथी व दूसरी चिकित्सा पद्धतियों का सहारा लेना पड़ता है। इसमें सबसे बदतर स्थिति आर्युवेदिक फार्मासिस्ट की है इसमें 248 में से 109 पद रिक्त चले हुए हैं। बात की जाए ए.एम.ओ. के पदों की तो उसमें भी 40 पद खाली पड़े हैं। यहां पर यह बता दें कि जिला कांगड़ा में एस.डी.ए.एम.ओ. के स्वीकृत 7 पदों में से 6 पद ही भरे गए है। चर्तुथ श्रेणी के भी 76 पद खाली पड़े है। उधर, कांगड़ा जोन के आयुर्वेद विभाग के उपनिदेशक डा. रशपाल धीमान ने बताया कि विभाग में डाक्टर व स्टाफ की कमी के लिए उच्चाधिकारियों को अवगत करवाया गया है, जल्द ही प्राथमिकता के आधार पर खाली पड़े सभी पदों को भरा जाएगा।

Ekta