इंसाफ की जंग लड़ते हुए जिंदगी से हार गया डॉक्टर

Thursday, Jan 19, 2017 - 09:29 AM (IST)

ऊना: ऊना के क्षेत्रीय अस्पताल में तैनात डॉक्टर की अचानक मौत हो गई है। सुबह के समय डा. दलजीत रोजाना की तरह लगभग 9 बजे ड्यूटी जाने के लिए तैयार होने लगा। इस दौरान अचानक ही उनकी तबीयत बिगड़ गई और उनका बेटा उनको इलाज के लिए अस्पताल लेकर आया, जहां एमरजैंसी वार्ड में उनका इलाज शुरू किया गया लेकिन उनकी वहां मौत हो गई। मौत के कारणों को जानने के लिए पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम करवाकर शव परिजनों को सौंप दिया है। डा. दलजीत सिंह की मौत से क्षेत्रीय अस्पताल में भी माहौल गमगीन हो गया। डा. दलजीत सिंह होशियारपुर जिला के दसूहा क्षेत्र के गांव झिंगड़ खुर्द के निवासी थे।


हंगामे के बाद करवाई थी एफ.आई.आर 
हाल ही में बस में हार्ट अटैक के बाद हुई व्यक्ति की मौत के बाद क्षेत्रीय अस्पताल में हुए हंगामे के दौरान डा. दलजीत के खिलाफ ही लोगों ने गुस्सा जाहिर करते हुए हंगामा किया था। बाद में डा. दलजीत सिंह ने अन्य चिकित्सकों के साथ थाना में एफ.आई.आर. दर्ज करवाते हुए काफी लोगों पर हंगामा करने और उनसे अभद्र व्यवहार करने का आरोप लगाया था। पुलिस ने इस संबंध में राजू पराशर सहित अन्यों के खिलाफ मामला दर्ज कर आगामी जांच शुरू कर दी थी। दोनों पक्षों में विवाद इतना बढ़ गया था कि चिकित्सक एसोसिएशन डा. दलजीत के पक्ष में खड़ी हो गई थी और उधर लोगों ने अस्पताल बचाओ संघर्ष समिति का गठन कर विरोध जताना शुरू कर दिया था। इस पूरे प्रकरण में डी.सी. विकास लाबरू ने भी हस्तक्षेप कर विवाद को खत्म करवाने की कोशिश की थी लेकिन दोनों पक्षों में टकराव यथावत जारी था। मैडीकल ऑफिसर्ज एसोसिएशन ने डा. दलजीत की मौत पर गहरा शोक व्यक्त किया है। 


इंसाफ की जंग लड़ते हुए जिंदगी से हार गए दलजीत
जिला अध्यक्ष डा. राहुल कतना, महासचिव डा. पीयूष नंदा, उपाध्यक्ष डा. अशोक दड़ोच, प्रवक्ता डा. हरसिमर आदि ने कहा कि डा. दलजीत की मौत अपूर्णीय क्षति है। डा. दलजीत अपने लिए इंसाफ की जंग लड़ते हुए जिंदगी से हार गए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि डा. दलजीत को इंसाफ दिलाने में प्रशासन पूरी तरह से फेल हुआ है जिसके चलते उन पर लगातार मानसिक दबाव बढ़ता गया। उन्होंने कहा कि संघर्ष समिति और उनके कार्यों को लेकर मामला उठाया गया था लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई और कोई भी एक्शन नहीं लिया गया। एसोसिएशन पदाधिकारियों ने कहा कि अब उनकी मौत के बाद तो उन्हें इंसाफ दिलाया जाना चाहिए। सी.एम.ओ. डा. प्रकाश दड़ोच ने कहा कि अस्पताल में डा. दलजीत को गंभीर हालत में लाया गया था लेकिन उनकी मौत हो गई है। उनकी मौत दुखद है और अस्पताल ने अमूल्य चिकित्सक खोया है। इस संबंध में एस.पी. अनुपम शर्मा ने बताया कि पोस्टमार्टम के बाद शव को उनके परिवार को सौंप दिया गया है और पुराने मामले की जांच भी की जा रही है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर मौत के कारणों का पता चल पाएगा। 


पुलिस जांच पूरी होने से पहले ही चले गए
22 दिसम्बर को हुए अस्पताल में घटनाक्रम की पुलिस की जांच पूरी होने से पहले ही डा. दलजीत की अचानक मौत हो गई लेकिन पुलिस एफ.आई.आर. दर्ज करने के लगभग 24 दिन बाद भी राजू पराशर के अलावा किसी और का नाम वैरीफाई नहीं कर पाई है। पुलिस ने इस संबंध में सी.सी.टी.वी. की फुटेज तो कब्जे में लेकर लोगों की पहचान शुरू कर दी थी लेकिन उसमें अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि हंगामा करने वाले कौन थे और देखने वाले कौन थे। पुलिस के अनुसार न तो गवाह अभी तक इनको वैरीफाई कर पाए हैं और न ही चिकित्सक उनकी पहचान कर पाए थे, ऐसे में मामला अभी जांच के ही दौर में फंसा हुआ है।