बिजली बोर्ड के इस जुगाड़ से अटकी हैं ग्रामीणों की सांसें, कभी भी हो सकता है हादसा

Sunday, Jul 08, 2018 - 01:51 PM (IST)

सुंदरनगर (नितैश): साल 1965 में बीबीएमबी (भांगड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड) ने हिमाचल में अपना बिजली प्रोजेक्ट बनाना शुरू किया और 7 अगस्त 1977 को पंडोह डैम से बीएसएल नहर में पानी छोड़ा। नहर बनने से कई लोग विस्थापित हुए और उन्हें अपने घर छोड़ दूसरे स्थानों पर शिफ्ट कर दिया। बीबीएमबी का हिमाचल में अपना प्रोजेक्ट लगाने का मुख्य उद्देश्य बिजली उत्पादन करना था और इस क्षेत्र में इसको सफलता भी मिली। साल 1967 में बीबीएमबी ने लोगों के घर के ऊपर से बिजली की हाई वोल्टेज तारें डाल दी जिनको हटाने की मांग सुंदरनगर उपमंडल की जुगाहाण की जनता 1981 से कर रही है। लेकिन बीबीएमबी और प्रदेश में रही भाजपा और कांग्रेस की सरकारों ने ग्रामीणों की मांगो को अनदेखा किया। 


पिछले चार दशकों से ग्रामीणों के घरों व खेतों के ऊपर से बीबीएमबी की हाईवोल्टेज तारे गुजर रही है जिनको हटाने के लिए ग्रामीणों ने कई बार अधिकारियों और सरकार को कहा। लेकिन हर किसी ने अनदेखी की। घरों के ऊपर से गुजर रही हाईवोल्टेज तारों से घरों को करंट आ रहा है जिसकी वजह से ग्रामीण अपने घर छोड़ने को मजबूर हो चुके हैं। ग्रामीणों का कहना है कि क्षेत्र में झूल रही बिजली की तारें कभी भी कोई अनहोनी घटना घटित हो सकती है और अगर ऐसा हुआ तो उसके लिए बीबीएमबी प्रबंधन जिम्मेदार होगा। 


लोगों का कहना है की बीबीएमबी ने हमारी हजारों बीघा जमीन ली और उसके बदले मात्र परेशानी ही दी है। उनका कहना है कि हाल ही में बीबीएमबी के चयरमैन को ग्रमीणों द्वारा शिकायत पत्र दिया गया था लेकिन बीबीएमबी ने फरमान जारी किया है कि ग्रामीण अपने स्तर पर तारो का सर्वे करवा बीबीएमबी को रिपोट सौंपे। ग्रामीण पिछले 40 साल से तारों को हटाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं लेकिन बीबीएमबी ने आज तक तारें नहीं हटाई। उनका कहना है कि कई बार बीबीएमबी के अधिकारियों ने आश्वाशन दिया कि जल्द लोगों के घरों के ऊपर से गुजर रही तारों को हटा दिया जाएगा लेकिन उनका आश्वाशन आज तक झूठा साबित हुआ है।  

Ekta