70 के दशक में जोगी पंजाब सिंह पहलवान का जलवा, एक साल में 100 दंगल जीतने का रिकॉर्ड (PICS)

Friday, Nov 02, 2018 - 10:28 AM (IST)

डाडासीबा (सुनील): 70 के दशक में हिमाचल से एक ऐसा नाम गूंजा जिससे बड़े-बड़े पहलवान खौफ खाते थे। महारत ऐसी हासिल की कि अपनी जिंदगी में कोई दंगल नहीं हारा। एक कैलेंडर ईयर में 100 कुश्तियां लड़ने का रिकार्ड भी उनके नाम रहा। घी, दूध व बादाम के साथ रोजाना 1,000 बैठकें व 1,200 दंड लगाना उनकी खुराक थी। उनके हुनर को देखकर उन्हें हिमाचल केसरी का भी खिताब मिला लेकिन उनको सम्मान नहीं मिला जिसके वह हकदार थे। 70 के दशक में जोगी पंजाब सिंह पहलवान की कुश्ती अखाड़े में एंट्री हुई और उनके धोबी दावपेंच के हिमाचली दीवाने हो गए। वर्ष 1971 यानी सालभर के भीतर उन्होंने 100 कुश्तियां लड़ीं। जोगी पहलवान का जन्म कांगड़ा जिला के फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र में साल 1950 में एक किसान परिवार और बदवाड गांव में हुआ था। उनके दादा कालू दास भी अच्छे पहलवान थे। जोगी ने अपने दादा और मशहूर छज्जू पहलवान से पहलवानी के गुर सीखे।   


अब हमउम्र पहलवानों के साथ भिड़ाते हैं दावपेंच
पुरस्कार के रूप में आज जोगी पहलवान के घर पर सैकड़ों पीतल की गागरें, गुर्ज व बाल्टियां आदि मौजूद हैं। आज भी वह हमउम्र के पहलवान के साथ कुश्ती लड़ते हैं लेकिन कभी भी पराजित नहीं हुए। 65 वर्षीय पंजाब सिंह जोगी से जब हमने कुछ दावपेंचों के नाम की बात की तो उन्होंने बताया कि मच्छी गोता, धोबी, कला जंग, लंगड़ी, ढाक, नैन्दर पनणी, गुव टस्सा, निकाल, जांघिया, टंगी, सांडीतोड़ और बगलडूब दावपेंच मशहूर हैं।  


शाकाहारी हैं जोगी, जीता था शेर-ए-हिमाचल का खिताब
पंजाब उस वक्त जोगी को देखकर अचंभित रह गया, जब चंडीगढ़ में आयोजित बड़े दंगल में जोगी ने मशहूर पहलवानों को पराजित किया तथा चंडीगढ़ के 20 सैक्टर में उन्होंने अम्बाला के 2 पहलवानों के चैलेंज को स्वीकार किया व जीतने पर उन्हें शेर-ए-हिमाचल का खिताब मिला। 5 फुट 4 इंच लंबे पहलवान जोगी की उस समय डाइट भी कम नहीं थी। वह शाकाहारी और सात्विक हैं। वह रोजाना सुबह-शाम पाव घी, 2 लीटर दूध और पाव बादाम खाते थे। इसके बाद जोगी पंजाब सिंह रोजाना 1,000 बैठकें व 1,200 दंड लगाते थे। इसके बाद वह 5 धुरंधरों से 3-3 बार कुश्ती लड़ते थे।  
 

Ekta