जयराम सरकार मार्केटिंग बोर्ड के पूर्व अधिकारियों पर जल्द कस सकती है शिकंजा!

Monday, Jan 08, 2018 - 10:51 AM (IST)

शिमला: मार्केटिंग बोर्ड के पूर्व अधिकारियों पर जयराम सरकार जल्द शिकंजा कस सकती है। भाजपा की चार्जशीट में भी मार्केटिंग बोर्ड में बिना टैंडर के लाखों रुपए के सामान की खरीद करने, बिना निविदाओं के फर्नीचर की मुरम्मत करने और अन्य कार्यों में ठेकेदारों के साथ मिलीभगत से मनचाहे रेट पर काम देने के आरोप हैं। सूत्रों की मानें तो सरकार ने मार्केटिंग बोर्ड से कुछ रिकॉर्ड मांग लिया है। विधानसभा का शीतकालीन सत्र खत्म होने के बाद इस मामले की जांच बिठाई जा सकती है। जांच में गड़बड़ियां पाई गई तो दोषी अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा। इसी तरह मार्केटिंग बोर्ड पर सड़क किनारे आढ़त के लाइसैंस देने में भी गड़बड़ी के आरोप लगते रहे हैं। 


पिछले साल 13 सितंबर को ढली में बने किसान भवन का उद्घाटन करते वक्त पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों में सड़क किनारे खोली गई मंडियों की जांच के निर्देश दिए थे। वीरभद्र ने यह पता लगाने को कहा था कि नियमों के खिलाफ किसके आदेशों पर सड़क किनारे मंडियां खोली गई हैं। खासकर बाहरी राज्य के लोगों को सड़क किनारे आढ़ती क्यों बनाया गया है? जबकि 25 मई, 2015 को पराला मंडी के उद्घाटन अवसरपर वीरभद्र सिंह ने सड़क किनारेलाल, नीले व पीले तंबुओं को लाइसैंस न देने के निर्देश दिए थे। बावजूद इसके मार्केटिंग बोर्ड ने लाइसैंस जारी किए हैं। 


अन्य प्रदेश में लाइसैंस देने का काम मार्कीट कमेटी करती है लेकिन प्रदेश में बीते 5 सालों के दौरान बोर्ड ने भी कईयों को लाइसैंस दिए हैं। बोर्ड पर आरोप है कि बाहरी प्रदेश के लोगों को सड़क किनारे आढ़त का लाइसैंस देकर मंडियों को खत्म करने की साजिश रची गई है। इनमें दिल्ली का एक व्यक्ति ऐसा बताया जा रहा है, जिसने पहले पराला सब्जी मंडी में दुकान ले रखी थी। इस दुकान से ए.पी.एम.सी. शिमला-किन्नौर को हर माह हजारों रुपए किराया और आढ़ती द्वारा किए जा रहे कारोबार की एवज में एक फीसदी सर्विस शुल्क भी कमेटी को मिल रहा था लेकिन बोर्ड ने जब इसे सड़क किनारे आढ़त चलाने का लाइसैंस दिया तो उस आढ़ती ने पराला मंडी में दुकान छोड़ दी। इसी तरह से नारकंडा समेत कुछ अन्य स्थानों पर भी बाहरी लोगों को बोर्ड ने लाइसैंस दिए हैं।