हार के खौफ से जयराम सरकार ने टाले चुनाव : मुकेश अग्निहोत्री

Saturday, Sep 04, 2021 - 09:41 PM (IST)

ऊना (सुरेन्द्र): हिमाचल प्रदेश की 4 सीटों पर चुनाव टाले जाने के मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार चुनावों से भाग खड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने चुनाव टालने का फैसला राज्य सरकारों की रिपोर्टों के आधार पर किया है। प्रदेश की जयराम सरकार ने अपने मुख्य सचिव के माध्यम से ऐसी रिपोर्ट भिजवाई, जिससे कि चुनाव न हो सकें। उन्होंने कहा कि सारे प्रदेश में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने नब्ज टटोलने के बाद इसी में बेहतरी समझी कि चुनाव टाल दिए जाएं। खासतौर पर मंडी संसदीय सीट पर सरकार के पास पक्की रिपोर्टें थीं कि कांग्रेस को वीरभद्र सिंह के निधन के बाद खासी बढ़त इलाके में मिलती नजर आ रही थी, इसलिए खिसकते जनाधार के मद्देनजर सरकार ने चुनाव को कोविड या फैस्टीवल सीजन के बहाने टलवाने में कामयाबी हासिल कर ली।

पिछले काफी दिनों से मिल रहे थे चुनाव टालने के संकेत

उन्होंने कहा कि पिछले काफी दिनों से यह संकेत मिल रहे थे कि हिमाचल प्रदेश सरकार मंडी संसदीय सीट के साथ-साथ 3 विस सीटों के चुनाव टालना चाहती है। उन्होंने कहा कि अब जब सरकार अंतिम वर्ष में प्रवेश कर रही है तो चुनाव का सामना करना भी मुश्किल हो रहा है। सरकार के हाथ-पांव चुनावों की आहट के साथ ही फूलने शुरू हो गए थे। उन्होंने कहा कि मंडी संसदीय सीट ने जहां सांसद रामस्वरूप के निधन का मामला एक रहस्य बना हुआ है और सीबीआई जांच टाली जा रही है, वहीं पर भाजपा प्रत्याशी को लेकर भी पशोपेश का माहौल बना हुआ था क्योंकि भाजपा अंतर्कलह का शिकार थी और पार्टी के भीतर जबरदस्त विद्रोह की स्थिति बनी हुई थी जबकि कांग्रेस पार्टी ने वीरभद्र सिंह की धर्मपत्नी प्रतिभा सिंह को चुनाव लड़ाने के संकेत दिए थे। उन्होंने कहा कि फतेहपुर में भी भाजपा में अंतरद्वंद्व के चलते विस्फोटक स्थिति बनी हुई थी।

चुनाव होते तो भाजपा की नींद पूरी तरह से उड़ जाती

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि यदि चुनाव होते तो भाजपा की नींद पूरी तरह से उड़ जाती। पार्टी को अंदेशा था कि पहले ही सरकार के 4 सालों की कार्यप्रणाली से लोग नाखुश हैं। पार्टी के भीतर समीकरण बिगड़े हैं। फजीहत से बचने के लिए यह चुनाव टाले गए हैं। यदि ये चुनाव होते तो कांग्रेस पार्टी निश्चित रूप से जीत का परचम लहराती। उन्होंने कहा कि इसी कारण जुब्बल कोटखाई और अर्की के चुनाव भी आगे सरक गए। उन्होंने कहा कि यह पहला मौका है जब कोई सरकार चुनाव से भाग खड़ी हुई हो। पिछले कुछ दिनों से सरकार लगातार कोरोना मामलों की संख्या में दुहाई देने लग गई थी, जिससे यह आहट मिल रही थी कि चुनाव को लेकर सरकार की नीति साफ नहीं है।

जनता के दरबार में रफ्तार पकड़ता जा रहा महंगाई का मामला

उन्होंने कहा कि जिस ढंग से महंगाई ने तांडव मचा रखा है, यह मामला जनता के दरबार में अब रफ्तार पकड़ता जा रहा है जबकि चोर दरवाजे से नौकरियां और बेरोजगारी बड़ा मुद्दा है। कोरोना से मरने वालों को मुआवजा नहीं दिया जा सका और किसानों व बागवानों का मुद्दा भी खड़ा हो चुका है। खासतौर पर सेब बागवान सरकार के रवैये से बेहद नाखुश हैं। कर्मचारियों को उनके जायज हक  नहीं दिए जा रहे हैं। चुनावी वायदे पूरे नहीं हुए हैं, इसलिए सरकार ने पिछले कुछ दिनों से फर्जी घोषणाओं का पिटारा खोलकर भ्रमजाल फैलाने की कोशिश की थी लेकिन अब साफ है कि चुनाव टालने का फैसला चाहे चुनाव आयोग का आया है लेकिन चुनाव टालने के पीछे पूरी तरह जयराम सरकार है।

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Vijay