जयराम सरकार लाहौल-स्पीति में विकसित करेगी हवाई अड्डा

Wednesday, Jan 24, 2018 - 09:35 AM (IST)

शिमला: हिमाचल की जयराम सरकार लाहौल-स्पीति में हवाई अड्डा विकसित करेगी। प्रदेश सरकार इस मामले को केंद्र सरकार से उठाने जा रही है ताकि यहां पर राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ पर्यटन को भी बढ़ावा मिल सके। सरकार ने सीमा क्षेत्र में चीन की घेराबंदी को देख यह फैसला लिया है। इससे पहले पूर्व कांग्रेस सरकार में सोलन जिला के कंडाघाट में अंतर्राष्ट्रीय स्तर का हवाई अड्डा बनाए जाने के लिए जमीन देखी गई थी। कंडाघाट में हवाई अड्डा बनने के पीछे 2 तर्क दिए गए थे। पहला यह जगह शिमला और चंडीगढ़ के बीच है, ऐसे में युद्ध की स्थिति में यहां आसानी से रसद पहुंचाई जा सकती है। दूसरा यहां से चीन से लगती सीमा नजदीक है और हैलीकॉप्टर सहित सड़क मार्ग से यहां आसानी से मदद पहुंच सकती है। 


शिमला एयरपोर्ट भी इसके नजदीक है जिससे यह स्थान उपयुक्त हो सकता था। अब वर्तमान सरकार द्वारा सीधे चीनी सीमा से सटे लाहौल-स्पीति में हवाई अड्डा बनाने की बात की जा रही है ताकि आवश्यकता पडऩे पर इसका लाभ उठाया जा सके। सीमावर्ती क्षेत्रों में वैसे भी चीन की गतिविधियां बढ़ गई हैं। चीन अधिकृत तिब्बत में ल्हासा तक रेललाइन बिछाने के अलावा सड़कें व हैलीपैड बनाए जा चुके हैं। ऐसे में भारत को भी इस क्षेत्र में हवाई और सड़क यातायात को बेहतर करना होगा।  


मंडी में भी उठी हवाई अड्डा बनाने की मांग
मंडी के निकट गोगर धार (पधर) व नंदगढ़ (बल्ह घाटी) में नए हवाई अड्डे के निर्माण की मांग उठी है। यह स्थान हमीरपुर, मंडी, कांगड़ा और बिलासपुर के मध्य में पड़ता है। इस मामले को भी केंद्र से पूर्व में उठाया जा चुका है लेकिन मामला सिरे नहीं चढ़ा।


केंद्र से उठाएंगे मामला : मार्कंडेय
कृषि, जनजातीय विकास एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री डा. राम लाल मार्कंडेय का कहना है कि लाहौल-स्पीति में हवाई अड्डा बनाए जाने की मांग केंद्र से की जाएगी। उन्होंने कहा कि सुरक्षा की दृष्टि से ऐसा करना जरूरी है, साथ ही इससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। 


गृह मंत्रालय जारी कर चुका है राशि
केंद्र सरकार ने सीमावर्ती क्षेत्र में चीन की बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए 6 राज्यों को बॉर्डर एरिया के तहत 174.32 करोड़ रुपए हाल ही में जारी किए हैं। जिन राज्यों के साथ लगती अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर यह राशि खर्च होगी उनमें हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, असम, गुजरात, पश्चिम बंगाल और मणिपुर शामिल हैं। यह राशि पूरी तरह से केंद्रीय वित्त पोषित है यानी संबंधित राज्यों को अपनी तरफ से किसी भी तरह की वित्तीय भागीदारी इसमें नहीं देनी होगी। केंद्र सरकार ने सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास के लिए जो राशि जारी की है, उसमें प्रदेश के कल्पा, पूह तथा लाहौल-स्पीति जिला का काजा ब्लाक शामिल है। इन विकास खंडों में जनसंख्या और क्षेत्रफल के आधार पर धन का आबंटन होता है। वर्ष 1998-99 में केंद्र सरकार ने प्रदेश के इन 3 विकास खंडों में कार्यक्रम चलाया था। 9वीं पंचवर्षीय योजना के तहत इन विकास खंडों को कार्यक्रम के तहत 35 करोड़ 47 लाख रुपए, 10वीं पंचवर्षीय योजना में 45 करोड़ 73 लाख रुपए तथा 11वीं पंचवर्षीय योजना में 186 करोड़ रुपए वित्तीय मदद मिली है।