सात समंदर पार पहुंच रही पांवटा साहिब के गुड़ की महक, जानिए क्या है खासियत (PICS)

Thursday, Nov 14, 2019 - 01:03 PM (IST)

पांवटा साहिब: पांवटा साहिब के दून क्षेत्र के गुड़ की महक अब विदेशों तक पहुंच रही है। यहां गन्ने की मिठास से पूरा देश वाकिफ है। यहां से हर साल देश के कई हिस्सों में तो गुड़ जाता ही है। साथ ही कनाडा में ज्यादातर बसे भारतीय इस गुड़ का स्वाद चखते हैं। जानकारी के मुताबिक पांवटा साहिब में हर साल अक्तूबर माह से गुड़ के क्रशर कार्य करना शुरू कर देते हैं। दिसंबर माह तक जब तक उत्तराखंड की डोईयोवाला स्थित शुगर मिल कार्य करना शुरू नहीं कर देती, तब तक करीब तीन माह यहां पर किसान अपना गन्ना इन क्रशरों पर डालते हैं। इस बार भी अक्तूबर माह में दिवाली से ही यहां पर गुड़ की महक आनी शुरू हो गई है।

यहां प्रसिद्ध गुरुद्वारे में माथा टेकने आने वाले विदेशों से सिख श्रद्धालु इस गुड़ की महक को अपने साथ कनाडा आदि स्थानों पर ले जाते हैं। जानकारी के मुताबिक कनाडा में रहने वाले सिख समुदाय के लोगों की पांवटा साहिब में काफी रिश्तेदारी भी है। कई परिवार हर साल गुरुद्वारा साहिब में शीश नवाने जरूर आते हैं। जानकारी के मुताबिक इस समय पांवटा साहिब में एक दर्जन से अधिक गुड़ क्रशर कार्य कर रहे हैं। इसमें शिवपुर और हरिपुर टोहाना समेत काहनूवाला, निहालगढ़ और माजरा क्षेत्र के टोकियों आदि स्थान शामिल हैं, जिनमें हर दिन करीब 600 क्विंटल तक गुड़ बनता है। 

एक क्विंटल गन्ने से बनता है 13 किलो गुड़

यहां एक क्विंटल गन्ने से करीब 12 से 13 किलो गुड़ बन जाता है। एक क्विंटल गन्ना जहां 320 रुपए तक पड़ता है, वहीं गुड़ 40 से 45 रुपए प्रतिकिलो तक बेचा जाता है। गुड़ निकालने के बाद बची हुई शक्कर से उनको थोड़ा सा लाभ हो जाता है।


मिल से ज्यादा खपत होती है क्रशर में  जानकारी के मुताबिक पांवटा ये जितना गन्ना उत्तराखंड की शुगर मिल में जाता है उससे करीब तीन गुणा गन्ना गुड़ क्रशरों में पहुंचता है। हालांकि इसका कोई रिकॉर्ड नहीं रहता है। इन तीन महीनों में करीब दो से अढ़ाई लाख क्विंटल गन्ना क्रशरों में खप जाता है। एक-एक क्रशर में हर दिन करीब 40 से 45 क्विंटल गुड़ बनता है। हालांकि मिल खुलने के बाद क्रशरों में गन्ने की पहुंच कम हो जाती है, लेकिन क्रशरों में गन्ना पहले से ही स्टॉक हो जाता है। 

Ekta