जयपुर में हाई पावर कमेटी की बैठक में सुलझाया जाए पौंग विस्थापितों का मुद्दा

Monday, Jun 18, 2018 - 11:01 AM (IST)

नगरोटा (जिनेश): नगरोटा सूरियां लोक निर्माण विश्राम गृह में रविवार को पौंग बांध संघर्ष समिति की बैठक अध्यक्ष तीर्थ राम शर्मा की अध्यक्षता में हुई। जिसमें तीर्थ राम शर्मा ने बताया कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने भूमि अधिनियम के तहत पौंग बांध निर्माण हेतु जिला कांगड़ा की तहसील देहरा के लगभग 30 हजार किसान परिवारों की पुश्तैनी भूमि व घर आदि को कलैक्टर के अवार्ड पर इस शर्त पर अधिगृहित किया था कि ब्यास कंस्ट्रक्शन बोर्ड को इस भूमि का मौलिक कब्जा तब तक नहीं दिया जाएगा, जब तक इस परियोजना से विस्थापित हुए लोगों का पूरी तरह पुनर्वास न हो जाए।

केवल 434 मुरब्बे विस्थापितों के नाम आबंटित पाए गए
उनका कहना है कि 50 वर्ष बाद भी आज दिन तक इन परिवारों का पुनर्वास नहीं हो पाया है। तीर्थ राम शर्मा ने बताया कि इन परिवारों के पुनर्वास के लिए भारत सरकार कि अध्यक्षता में हिमाचल प्रदेश ब राजेस्थान सरकार की सहमति पर 3 सितम्बर 1970 को हस्ताक्षरित एम.ओ.यू. के तहत विस्थापितों के पुनर्वास के लिए 2 लाख 20 हजार एकड़ भूमि जिला श्रीगंगा नगर में आरक्षित की गई थी, इसमें से 30 हजार एकड़ भूमि भारत सरकार ने केंद्रीय राज्य फार्म जैतसर से राजस्थान सरकार को पुनर्वास के लिए दी थी। उन्होंने बताया कि सूचना के अधिकार नियम के तहत मिले रिकार्ड का अवलोकन करने पर 30 हजार एकड़ भूमि में 1942 मुरब्बे सही पाए गए, लेकिन जब इन आबंटित मुरब्बों की सूचियों का अवलोकन किया गया तो 1942 में केवल 434 मुरब्बे विस्थापितों के नाम आबंटित पाए गए।

अवैध कब्जाधारियों को बिजली के कनैक्शन जारी किए
इससे राजस्थान सरकार ने जैतसर फार की भूमि विस्थापितों को आबंटित न कर भारत सरकार को भी अंगूठा दिखाया है। पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के तहत कोर्ट ने आरक्षित भूमि में विस्थापितों को 26 जुलाई 1996 को मुरब्बे देने के आदेश जारी किए थे मगर राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की भी नहीं माना और आदेशों के बावजूद अवैध कब्जाधारियों को बिजली-पानी के कनैक्शन तक जारी कर दिए।

भूमि के मूल्य के बराबर मुरब्बों की कीमत दी जाए 
उन्होंने ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि 27-28 जून को जयपुर में होने वाली बैठक में पौंग बांध विस्थापित के इस लंबित पड़े मामले को शीघ्र सुलझाया जाए, ताकि पौंग बांध विस्थापितों को उनका जमीनी हक मिल सके। उन्होंने बताया कि अगर सरकार ऐसा नहीं करती है तो सरकार हाई पॉवर कमेटी की 23वीं बैठक के नियमानुसार गुजरात के सरदार सरोवर प्रभावितों की तर्ज पर 45 वर्षों के मुआवजे के साथ जिला गंगानगर भूमि के मूल्य के बराबर मुरब्बों की कीमत दी जाए। उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की है कि जयपुर में हाई पावर कमेटी की बैठक में पौंग विस्थापितों को अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाए।

kirti