हिमाचल में इजराईली पर्यटक नशे के कारोबार में संलिप्त, आंकड़े कर देंगे हैरान

Sunday, Jun 17, 2018 - 10:42 PM (IST)

शिमला (राक्टा): हिमाचल प्रदेश में बढ़ते नशीले पदार्थों ने कुल्लू, मनाली, मंडी और शिमला के तहत बड़ी संख्या में युवाओं को अपनी चपेट में ले लिया है। इसके साथ ही रिपोर्ट के अनुसार राज्य में नशे का अधिकांश व्यापार कुल्लू जिला में किया जा रहा है। सामने आया है कि सेना में अनिवार्य सेवा देने के बाद चिकित्सीय अनुभव के लिए कुल्लू जिला के कुछ इलाकों में बड़ी संख्या में इजराईली पर्यटक आते हैं और संबंधित क्षेत्रों को नशे के कारोबार का केंद्र बनाकर क्षेत्र की संवेदनशीलता को बढ़ाने का कारण बनते हैं। पुलिस के कड़े प्रयासों के बावजूद इस पर पूरी तरह से अंकुश लगने में शायद वक्त लगेगा। पुलिस प्रशासन का भी मानना है कि अधिक तथा जल्दी पैसा कमाने के प्रलोभन ने स्थानीय किसानों को गुप्त रूप से भांग की खेती के लिए प्रेरित किया है।


पंजीकृत मामलों संख्या में 3 गुना वृद्धि
विभाग के पास दर्ज आंकड़ोंका आकलन करें तो हिमाचल प्रदेश में नारकोटिक ड्रग एंड साइकोट्रॉपिक्स सबस्टांस  (एन.डी.ई.एस.) अधिनियम के तहत पंजीकृत मामलों की संख्या में पिछले दशक में 3 गुना वृद्धि दर्ज हुई है। इसी कड़ी में प्रदेश पुलिस विभाग ने राज्य के सभी जिलों में अफीम-पोस्त की खेती को समाप्त करने के लिए एक व्यापक अभियान शुरू किया है। यह अभियान जिलों में विशेष रूप से ऐसे क्षेत्रों में शुरू किया गया है, जहां नशीले पदार्थों की खेती की संभावना रहती है। अभियान के दौरान जून माह के अंत तक भांग की खेती नष्ट करने का लक्ष्य रखा गया है ताकि आरंभ में ही खेती को नष्ट करके इसके व्यसन से लोगों को दूर रखा जा सके।


क्या है कार्ययोजना
पुलिस महानिदेशक सीता राम मरड़ी ने अभियान के दौरान किए जा रहे कार्यों की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि सभी राजस्व, वन अधिकारी, पंचायती राज संस्थानों और शहरी स्थानीय निकायों के निर्वाचित प्रतिनिधि एन.डी.ई.एस. अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत कत्र्तव्यबद्ध हैं कि वे संबंधित क्षेत्रों में यदि भांग की अवैध खेती हो रही है तो इसकी सूचना तुरंत पुलिस को देंगे। इसके साथ ही सूचना थाना प्रभारी और पुलिस अधीक्षक को लिखित रूप में भी देंगे। उन्होंने बताया कि इसी तरह वन अधिकारी अपने क्षेत्राधिकार में यदि अवैध खेती हो रही है तो पुलिस को सूचित करेंगे।


सभी के तालमेल से नशे पर कसेगी नकेल
डी.जी.पी. के अनुसार पुलिस, नारकोटिक नियंत्रण ब्यूरो, एस.एन.सी.बी., सी.आई.डी., वन, राजस्व, पंचायती राज और ग्रामीण विकास विभाग व प्रवर्तन एजैंसियों को शामिल करके इस तरह की खेती को नष्ट करने के लिए एक संयुक्त अभियान शुरू किया जाएगा ताकि मादक द्रव्यों की खेती और तस्करी पर अंकुश लगाया जा सके। उन्होंने कहा कि ये एजैंसियां 15 अगस्त से पहले भांग व पोस्त की खेती नष्ट करने की प्रगति रिपोर्ट देंगी। सभी पुलिस अधीक्षक अफीम तथा भांग की खेती को नष्ट करने के लिए महिला मंडलों, युवक मंडलों तथा अन्य गैर-सरकारी संस्थाओं का सहयोग करेंगे।


वैकल्पिक नकदी फसलों को अपनाने का प्रस्ताव
कृषि एवं बागवानी तथा ग्रामीण विकास विभाग संयुक्त रूप से अफीम-पोस्त पैदा करने वाले लोगों के लिए उपयुक्त वैकल्पिक नकदी फसलों को अपनाने का प्रस्ताव प्रस्तुत करेंगे। इसके साथ ही प्रदेश में नशीली दवाइयों के दुरुपयोग से बचने के लिए छात्रों को संवेदनशील बनाया जाएगा और इसके लिए शिक्षा विभाग के नोडल प्रशिक्षण अधिकारियों को प्रशिक्षित करने के लिए मॉड्यूल तैयार किया जाएगा। पी.टी.ए. और एस.एम.सी. की बैठकों के दौरान छात्रों के माता-पिता को भी इस मुद्दे पर संवेदनशील बनाया जाएगा।


पुलिस छापेमारी कर नशेड़ियों का लगाएगी पता
पुलिस शैक्षणिक संस्थानों और इनके आसपास के क्षेत्रों में ऐसे छात्रों की पहचान करने के लिए छापेमारी करेगी जो नशीली दवाइयों के दुरुपयोग में शामिल हैं। विभाग के अनुसार शैक्षणिक संस्थानों के आसपास की सभी दुकानों व ढाबों पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है तथा समय-समय पर इनका निरीक्षण भी किया जाएगा। जागरूक छात्र-छात्राओं के सहयोग से शिक्षण संस्थानों के आसपास संदिग्ध गतिविधियों को बढ़ावा देने वालों पर नकेल कसी जाएगी।


104 हैल्पलाइन पर प्रचार सामग्री होगी सांझा
सरकार के अनुसार स्वास्थ्य तथा शिक्षा विभाग अब सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के साथ मिलकर 104 हैल्पलाइन पर नशीली दवाइयों के दुरुपयोग की प्रचार सामग्री सांझा करेंगे ताकि इसे आगे आम जनमानस को उपलब्ध करवाकर उन्हें जागरूक बनाया जा सके। इसी तरह सूचना एवं जनसंपर्क विभाग नशीली दवाइयों के दुरुपयोग के दुष्प्रभावों पर नुक्कड़ नाटकों सहित विभिन्न कार्यकलापों के माध्यम से बड़े पैमाने पर जागरूकता कार्यक्रम चलाएगा।

Vijay