अंतर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव: जब 2 भाइयाें का बहन से हुआ दिव्य मिलन ताे भावुक हाे उठे भक्त, 5 साल से निभाई जा रही अनूठी परंपरा
punjabkesari.in Saturday, Oct 04, 2025 - 05:28 PM (IST)

कुल्लू (दिलीप): अंतर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव सिर्फ सांस्कृतिक ही नहीं, बल्कि दैवीय आस्था और संबंधों का भी एक अनूठा संगम है। यहां की परंपराएं दर्शाती हैं कि देवी-देवताओं के रिश्ते भी इंसानों की तरह ही प्रगाढ़ होते हैं। ऐसा ही एक अद्भुत दृश्य दशहरे की रथ यात्रा के तीसरे दिन देखने को मिला, जब लगघाटी के देवता क्षेत्रपाल थान अपने भाई देवता शिम थान और बहन माता काली ओढ़ी से मिले। इस भव्य देव मिलन काे देख माैके पर माैजूद भक्त भावुक हाे उठे।
ढालपुर के मैदान में जब तीनों देवी-देवताओं के रथ एक-दूसरे के करीब आए तो पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया। देवलुओं (देवताओं के साथ आए श्रद्धालु) ने बताया कि यह दिव्य मिलन पिछले 5 वर्षों से हर साल होता आ रहा है। इस दौरान देवता एक-दूसरे से सुख-दुख सांझा करते हैं।
इस परंपरा के बारे में जानकारी देते हुए देवता क्षेत्रपाल थान के कारदार सुंदर सिंह ने बताया कि करीब 6 वर्ष पहले तक देवता अपने हारियानों के साथ ही मिलते थे, लेकिन 5 वर्ष पूर्व दशहरे में देवताओं का आपस में यह मिलन हुआ। इसके बाद देवता ने अपने गुर के माध्यम से यह इच्छा व्यक्त की कि वह हर वर्ष अपने भाई और बहन से मिलना चाहते हैं। तभी से हर साल अंतर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा की रथ यात्रा के तीसरे दिन यह दिव्य मिलन समारोह आयोजित होता है।
देवता क्षेत्रपाल थान अपने भाई शिम थान और बहन माता काली ओढ़ी के साथ मिलकर अपने सभी हारियानों को सुख-समृद्धि और खुशहाली का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। यह देव मिलन कुल्लू दशहरे की उस जीवंत देव संस्कृति का प्रतीक है, जो इसे विश्वभर में अद्वितीय बनाती है।