इस बार पुराने स्वरूप में दिखेगा अंतर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव

punjabkesari.in Friday, Oct 01, 2021 - 08:24 PM (IST)

कुल्लू (ब्यूरो): ढालपुर मैदान में 1660 से चल रहे अंतर्राष्ट्रीय दशहरा उत्सव का स्वरूप इस बार बदल जाएगा। करीब 7 दशक से भी अधिक समय पूर्व जैसे दशहरा उत्सव होता था, इस बार भी वैसा ही होगा। दशकों पहले बाहर से भी व्यापारी आते होंगे लेकिन इस बार वे भी नहीं आएंगे। 332 देवी-देवताओं को भेजे गए निमंत्रणों के बीच जो भी देवी-देवता रघुनाथ जी के दरबार में हाजिरी भरने आएंगे उन्हें उनके चिन्हित स्थानों पर बैठाया जाएगा। इसके अलावा दशहरा उत्सव में व्यापारिक गतिविधियों पर पाबंदी के बीच सिर्फ खाने-पीने की दुकानें ही सजेंगी। खाने-पीने के सामान की दुकानों को अनुमति इसलिए भी जरूरी है क्योंकि देवलू भोजन चाय आदि को न तरसें।

दशकों पहले होता था ऐसा

दशकों पहले भी दशहरा उत्सव ऐसा ही होता था। उत्सव में मिठाइयों की दुकानें ही सजती थीं। देवमयी फिजा के बीच लोग मिठाइयां खाते, खिलाते व बांटते थे और घरों को भी मिठाइयां लेकर लौटते थे। देवी-देवताओं के अस्थायी शिविरों में माथा टेकना ही लोगों का मुख्य लक्ष्य होता था और उत्सव में सभी देवी-देवताओं के दर्शन भी एक ही स्थान पर होते थे। इस बार भी उत्सव में ऐसा ही होगा और देव समागम तथा कुछ खाने-पीने की दुकानें ही मिलेंगी। खाने-पीने की दुकानों को लगाने की अनुमति भी उन्हें ही मिलेगी, जिन्हें कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीन की दोनों डोज लगी होंगी। अन्य कोविड नियमों की भी सख्ती से अनुपालना करनी होगी। इस प्रकार से अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कुल्लू दशहरा उत्सव का स्वरूप 7 दशक से भी अधिक पुराने उत्सव जैसा ही होगा। कोरोना महामारी के कारण उपजे ऐसे हालातों को लोग देव इच्छा ही मान रहे हैं। अब देव आदेश के अनुसार ही उत्सव में देवलू हिस्सा लेंगे।

6-7 दशक पहले नहीं होती थीं गाड़ियां, दशहरा उत्सव में पैदल पहुंचते थे लोग

फागू गांव से बुजुर्ग सूरत राम, हीरा लाल, भूमि राम शर्मा, वशिष्ठ मनाली से चुनी लाल आचार्य, बगियांदा से गोपी चंद शर्मा, छरोर से मंगल चंद कहते हैं कि 6-7 दशक पहले गाड़ियां नहीं होती थीं और पैदल चलकर ही दशहरा उत्सव में जाते थे। एक ही स्थान पर सभी देवी-देवताओं के दर्शन करने के इच्छुक बुजुर्गों को पालकी में या घोड़ों पर ले जाते थे। उत्सव में मिठाइयों, सिड्डू, कचौरी, खाने की कुछ दुकानें होती थीं। इस बार भी दशहरा उत्सव कुछ वैसा ही होगा जैसा 6-7 दशक से भी अधिक पुराने समय में हुआ करता था।

चीन से भी आते थे व्यापारी

पुराने समय में चीन, तिब्बत की तरफ से भी दशहरा उत्सव में व्यापारी आते थे। व्यापारी घोड़ों पर लादकर मसाले, जड़ी-बूटियां, ऊन सहित अन्य सामान बिक्री के लिए लाते थे। लाहौल-स्पीति, रोहतांग होते हुए यह व्यापारी कुल्लू पहुंचते थे। भारत के अन्य हिस्सों से भी कारोबारी आते थे।

कितने देवी-देवता आएंगे कुछ दिन में चलेगा पता

इस बार दशहरा उत्सव के लिए हालांकि 332 देवी-देवताओं को निमंत्रण भेजे हैं लेकिन कितने देवी-देवता उत्सव में आएंगे यह उत्सव से 4-5 दिन पहले तय हो सकेगा। नजराना राशि न मिलना और अन्य कुछ कारणों से देवी-देवताओं की आमद कुछ कम हो सकती है। डीसी आशुतोष गर्ग ने बताया कि कुल्लू दशहरा उत्सव में व्यापारिक गतिविधियां नहीं होंगी। 332 देवी-देवताओं को निमंत्रण भेजे गए हैं। देव समागम की तैयारियां चल रही हैं।

महामारी ने कई बातों से कराया साक्षात्कार

कोरोना महामारी ने कई परिस्थितियों से आम जनमानस का साक्षात्कार करवाया है। पिछली बार उत्सव में सिर्फ 7 देवी-देवताओं को बुलाया गया था और कम लोगों की मौजूदगी में ही रघुनाथ जी की रथ यात्रा हुई। कुछ देवी-देवता बाद में आए थे। इस बार सभी देवी-देवताओं को निमंत्रण भेजे हैं और आमद कितनी रहेगी यह देखना होगा।

हिमाचल की खबरें Twitter पर पढ़ने के लिए हमें Join करें Click Here
अपने शहर की और खबरें जानने के लिए Like करें हमारा Facebook Page Click Here


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Vijay

Recommended News

Related News