अंतर्राष्ट्रीय दशहरा उत्सव में इस बार होगी बलि, जानने के लिए पढ़ें खबर

Tuesday, Sep 19, 2017 - 01:01 PM (IST)

कुल्लू: अंतर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव में कुल्लू के राज परिवार को 2 बिंदुओं पर राहत बरकरार रहेगी। इनमें से एक दशहरा उत्सव में बलि का मसला है और दूसरा रघुनाथ जी के मंदिर के अधिग्रहण का मामला है। इन दोनों बिंदुओं पर कुल्लू के राज परिवार को उच्चतम न्यायालय से राहत मिली हुई है। हालांकि मंदिर के अधिग्रहण मामले में प्रशासन ने कार्रवाई की थी लेकिन वह उच्चतम न्यायालय के आदेशों के बाद धरी रह गई। प्रशासन ने कुछ दिन पहले मंदिर न्यास के सरकारी व गैर-सरकारी सदस्यों की बैठक करवाकर कई बिंदुओं पर निर्णय भी लिए थे। अब उच्चतम न्यायालय ने मंदिर के अधिग्रहण की प्रक्रिया पर रोक लगा कर प्रदेश सरकार और कुल्लू जिला प्रशासन को पीछे हटने के लिए विवश कर दिया है। दशहरा उत्सव में सदियों से चली आ रही बलि प्रथा पर भी सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही आदेश जारी करते हुए कहा है कि आगामी आदेशों तक इस प्रथा को निभाने के लिए अलग से इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करके पर्दे में इस प्रथा को निभाया जाए। 


इस मसले पर कइयों ने अपनी सियासत चमकाने के लिए भी खूब प्रयास किए​​​​​​​

प्रशासन, नगर परिषद और अन्य को इसकी व्यवस्था करने को कहा गया है। न्यायालय ने पिछले दिनों अधिग्रहण के मसले पर नए आदेश जारी करते हुए स्टे को हटाकर सिविल सूट का सुझाव दिया था। उस दौरान कांग्रेस पार्टी से जुड़े लोगों ने प्रशासन की कार्रवाई को सही ठहराया था और न्यायालय के आदेशों का स्वागत किया था। इतना ही नहीं, इस मसले पर कइयों ने अपनी सियासत चमकाने के लिए भी खूब प्रयास किए। यहां तक कि कई तरह की अफवाहें भी फैलाई गईं। अफवाहों पर पुलिस विभाग को सोशल मीडिया के जरिए यह कहना पड़ा कि इस तरह की अफवाहों पर ध्यान न दें। लोगों ने पुलिस द्वारा की गई इस अपील को मीडिया पर देखा। कुल मिलाकर आगामी दशहरा उत्सव कुल्लू के राज परिवार के लिए राहत भरा रहेगा। यदि न्यायालय से अधिग्रहण के बिंदु पर राहत न मिलती तो प्रदेश सरकार प्रशासन के जरिए नए नियम बनाने सहित और भी कई तरह के बदलाव के लिए भी दबाव बना सकती थी। 


रघुनाथ जी को लेकर इसलिए है लड़ाई
सरकार और कुल्लू के राज परिवार के मध्य रघुनाथ जी को लेकर कई बिंदुओं पर लड़ाई है। हालांकि सरकार की ही कुछ गलतियों के कारण कुछ सवाल भी उठ खड़े हुए हैं। प्रदेश में 2012 में जब कांग्रेस की सरकार बनी तो हिलोपा ने भी गुण-दोष के आधार पर प्रदेश सरकार को समर्थन दिया। जैसे ही सरकार के 3 साल का कार्यकाल बीता तो हिलोपा और कांग्रेस के बीच अनबन बढ़ती गई। महेश्वर सिंह की जैसे ही भाजपा में वापसी हुई तो मुख्यमंत्री भी महेश्वर सिंह के खिलाफ कई मंचों से आग उगलते देखे गए। उसके बाद ही सरकार ने रघुनाथ मंदिर के अधिग्रहण का निर्णय लिया और इसके लिए प्रयास भी हुए।