मासूम युग को 4 साल बाद मिला इंसाफ, आंखों से छलक गए आंसू

Wednesday, Sep 05, 2018 - 10:09 PM (IST)

शिमला (राक्टा): 4 साल बाद मासूम युग को आखिरकार इंसाफ मिल ही गया। युग के हत्यारों को मौत की सजा सुनाए जाने के बाद अभिभावकों के चेहरों पर संतोष के भाव साफ नजर आए और यह भाव आंखों से आंसू बनकर बाहर निकले। फैसला आने के बाद युग के पिता ने नम आखों से  कहा कि आज जो फैसला आया है, उससे वह संतुष्ट हंै। युग के पिता विनोद गुप्ता और माता पिंकी गुप्ता ने कहा कि हत्यारों ने जो गुनाह किया है, उससे वे फांसी की सजा के ही हकदार हैं। उन्होंने कहा कि आज उनका पूरा परिवार अदालत में मौजूद था। युग के पिता ने कहा कि उनका बेटा वापस तो आ नहीं सकता लेकिन उसे आज इंसाफ मिल गया है। उन्होंने कहा कि उनको और उनके परिवार को न्यायपालिका पर पूरा यकीन है और जो फैसला आया है, उससे उनके बेटे को भी मुक्ति  मिली है। उन्होंने कहा कि पूरे हिमाचलवासियों ने युग को इंसाफ दिलाने के लिए लड़ाई लड़ी।

14 जून, 2014 को हुआ था युग का अपहरण
गौरतलब है कि शहर के कारोबारी विनोद गुप्ता के मासूम बेटे युग का फिरौती के लिए 14 जून, 2014 को अपहरण हुआ था। हत्यारों ने 23-24 जून की रात को युग को पत्थर से बांधकर भराड़ी पेयजल टैंक में फैंक दिया था। इसका पता सी.आई.डी. की जांच में चला। अपहरण के बाद पुलिस ने जांच शुरू की लेकिन पुलिस के असफल रहने पर केस सी.आई.डी. क्राइम ब्रांच को ट्रांसफ र किया गया। 20 अगस्त, 2016 को सी.आई.डी. ने विक्रांत केरूप में पहली गिरफ्तारी की थी। इसके बाद पूरे मामले की परत दर परत खुलती गई।

कड़े सुरक्षा पहरे के बीच अदालत में किए पेश
युग के हत्यारों को पुलिस ने कड़े सुरक्षा पहरे के बीच अदालत में पेश किया। दोपहर करीब 1 बजकर 58 मिनट पर तीनों दोषियों को कड़ी सुरक्षा के बीच अदालत में लाया गया था। फैसले के बाद जब पुलिस कड़े सुरक्षा घेरे में दोषियों को कोर्ट रूम से बाहर लेकर आई तो उनके चेहरे लटके हुए थे।

आरोपियों ने ऐसे किया किडनैप  
14 जून 2014 को युग घर से बाहर खेल रहा था। उस वक्त शाम के करीब 4 बज रहे थे। हल्की बारिश हो रही थी। युग बारिश से बचने के लिए एक छत के नीचे खड़ा हो गया। इस दौरान आरोपी युग को मोबाइल पर वीडियो गेम खेलने का लालच देकर गोदाम में ले गए और वहां उसके हाथ-पांव और मुंह पर टेप बांध दी। एक पेटी में डालकर उसे गाड़ी में राम चंद्रा चौक के पास किराए के मकान में ले जाया गया। मासूम युग को कई यातनाएं दी गईं। नशे में आरोपी उसे बुरी तरह प्रताडि़त करते रहे।

विक्रांत की निशानदेही पर हुआ शव बरामद
अपहरण के 2 साल बाद 22 अगस्त, 2016 को दोषी विक्रांत की निशानदेही पर सी.आई.डी. ने भराड़ी पेयजल टैंक से युग का कंकाल बरामद किया। इसी दिन चंद्र शर्मा व तेजेंद्र पाल को गिरफ्तार किया। इतने दिन पेयजल टैंक में कंकाल रहा और वही पानी संबंधित इलाकों में सप्लाई भी होता रहा। 25 अक्तूबर, 2016 को सी.आई.डी. ने जिला एवं सत्र न्यायालय में आरोपियों के खिलाफ  चार्जशीट पेश की।

मोबाइल ने खोले राज
युग की हत्या व किडनैप के राज मोबाइल ने खोले थे। इस मामले में सी.आई.डी. के पास यह सबसे बड़ा एविडैंस था। पुलिस को मोबाइल फोन में यह वीडियो हाथ लगी थी जोकि युग को किराए के कमरे में प्रताडि़त करते हुए बनाई गई थी और 4 साल का युग बचाने की गुहार लगा रहा है। यह वीडियो फुटेज पुलिस के मसलखाने से ही जुटाई गई। फोरैंसिक लैब में वीडियो को जांचने के बाद सी.आई.डी. ने जांच को आगे बढ़ाया और आरोपियों को पकड़ा।

पत्थर से बांधकर टैंक में फैंक दिया
22 जून 2014 को युग की मौत का दिन आरोपियों ने चुना। उसे एक बॉक्स में भरा। हाथ-पांव बांध दिए और मुंह पर टेप लगा दी। रात को उसको गाड़ी में डाला। आरोपियों ने चौड़ा मैदान से एक बड़ा पत्थर उठाया और रस्सी की मदद से युग के साथ बांध दिया। क्लस्टन टैंक पहुंचे, वहां आराम से गाड़ी को साइड में लगाया। इधर-उधर देखा और बेहोश युग को पानी से भरे टैंक में फैंक कर चलते बने।

युग के गले में छुरी रखकर फोटो खींची
लोअर बाजार में जब आरोपियों से पूछताछ की गई तो उन्होंने खुलासा किया था, उन्होंने फिरौती के लिए युग के गले में छुरी रखी और उसकी फोटो खींची। इसके बाद तीनों आरोपी ने फोटो को युग के परिजनों को भेजने का प्लान बनाया। जब फोटो खींची गई थी उस दौरान तीनों आरोपी मौजूद थे।

चौड़ा मैदान पोस्ट ऑफिस से भेजे पत्र
सी.आई.डी. जब आरोपियों को चौड़ा मैदान ले गई थी तो उन्होंने वहां पर यह स्पष्ट किया कि वहां पर बने पोस्ट ऑफिस के बॉक्स से युग के माता-पिता को पत्र भेजा था, जिसमें पैसे मांगने की मांग की थी। वहां से तीन पत्र भेजे थे, जिसमें पैसे की मांग की गई थी।

बॉक्स पर चप्पल
गिरफ्तारी के बाद जब आरोपियों को उनके घर लोअर बाजार ले गए तो उन्होंने वहां पर दिखाया कि घर के अंदर बने कोने में युग की चप्पल को छुपाया गया था और उसके बाद उसे बैड पर बिठाकर शराब पिलाई और बेहोश कर दिया।

किराए के कमरे में रखा था युग
किडनैप करने के बाद आरोपियों ने युग को राम चंद्रा चौक के पास किराए के कमरे में रखा था। एक हफ्ते तक आरोपियों ने युग को तरह-तरह की यातनाएं दीं। नशे में धुत्त होकर आरोपी युग को बुरी तरह से प्रताडि़त करते थे। इतना सब कुछ करने के बाद जब आरोपियों का मन नहीं भरा तो उसे रात के समय में ले जाकर आरोपियों ने युग को जिंदा ही नगर निगम के टैंक में डाल दिया था।

पड़ोसी होने के नाते युग को ढूंढने पुलिस के साथ घूमता था चंद्र
आरोपी चंद्र युग के पिता विनोद गुप्ता का पड़ोसी था, ऐसे में पल-पल की अपडेट के लिए वह पुलिस के साथ घूमता था। पुलिस ने भी चंद्र पर कोई शक नहीं किया। पुलिस को लगा कि युग को ढूंढने के लिए वह हमारी मदद कर रहा है जबकि चंद्र शर्मा, तेजेंद्र पाल और विक्रांत बक्शी ही युग के आरोपी थे।

जब कोर्ट के बाहर जनता के बरसे थे आरोपियों पर लात-घंूसे
जब 27 अगस्त को आरोपियों को कोर्ट ले जाया जा रहा था तो कोर्ट परिसर में गुस्साई भीड़ ने उन पर हमला बोल दिया था। इस दौरान लोगों ने आरोपियों की जमकर पिटाई की। खासी मशक्कत के बाद आरोपियों को गुस्साए भीड़ के चंगुल से छुड़ाया गया था। हालांकि अभी भी जनता का रोष जारी है। अब देखना यह है कोर्ट आरोपियों को क्या सजा देता है। 

26 अगस्त को हुआ था नगर निगम पर लापरवाही का केस दर्ज
26 अगस्त को बहुचर्चित युग मामले में नगर निगम शिमला के खिलाफ लापरवाही का मामला दर्ज  किया था। यह एफ.आई.आर. सदर थाने में डी.एस.पी. सी.आई.डी. क्राइम ब्रांच की शिकायत पर दर्ज की गई थी। इसके तहत सदर थाना पुलिस ने नगर निगम के खिलाफ आई.पी.सी. की धाराओं 269, 270, 217, 218, 34 और जल प्रदूषण एक्ट 1974 के तहत मामला दर्ज किया था।

चंडीगढ़ में अक्सर होती थीं पार्टियां
चंद्र शर्मा और तजेंद्र पाल सिंह का अक्सर चंडीगढ़ आना-जाना होता था। युग मामले में एक बार गिरफ्तार होकर छूटने पर उन्होंने चंडीगढ़ में खूब पार्टियां भी की थीं। इन पार्टियों के बारे में उन्होंने शिमला आकर कई युवकों को कहानियां भी सुनाईं।

कब क्या हुआ
-14 जून 2014 को युग का अपहरण हुआ। शाम के समय में परिजनों ने सदर थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। 15 जून से पुलिस ने युग को ढूंढने के लिए तफ्तीश शुरू की थी लेकिन कोई सुराग नहीं चल पाया था लेकिन केस को सी.आई.डी. को देना पड़ा।
-20 अगस्त 2016 को सी.आई.डी. ने विक्रांत को गिरफ्तार किया था।
-22 अगस्त 2016 को विक्रांत की निशानदेही पर युग का कंकाल सी.आई.डी. ने बरामद किया।
-22 अगस्त 2016 को विक्रांत के अलावा चंद्र शर्मा व तेजेंद्र पाल को गिरफ्तार किया गया।
-25 अक्तूबर को सी.आई.डी. ने आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट पेश की।
-20 फरवरी 2017 को जिला एवं सत्र न्यायालय में ट्रायल शुरू हुआ।
-20 से 28 मार्च तक पहला ट्रायल।
-16 मई से 1 जून तक फिर ट्रायल हुआ। बीच में 14 से 22 सितम्बर और 16 से 20 नवम्बर ट्रायल फिर हुए।
-7 से 8 ट्रायल में अभियोजन पक्ष ने 105 गवाह कोर्ट में पेश किए।
-27 फरवरी को प्रॉसिक्यूशन विटनैस पूरी हुई।
-5 मार्च को आरोपियों के बयान रिकार्ड किए गए।
-27 अप्रैल को बयान रिकॉर्ड करने के बाद आरोपियों को डिफैंस एविडैंस का मौका दिया गया।
-8 मई को आरोपियों ने डिफैंस में एविडैंस पेश करने से मना किया। आरोपियों के डिफैंस एविडैंस से मुकरने पर कोर्ट ने बहसबाजी की तारीख तय की।
-6 अगस्त को तीन आरोपी दोषी करार दिए गए।
-5 सितम्बर को तीनों आरोपियों को अदालत ने मौत की सजा सुनाई। 


क्या बोले मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर
मुख्यमंत्री ने कहा कि युग मामले में अदालत का जो फैसला आया है, उसको लेकर वह कोर्ट के प्रति अपना सम्मान व्यक्त  करते हैं और धन्यवाद करते हंै। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से यह घटना घटित हुई थी, उससे पूरा प्रदेश विचलित हुआ था और देश भर में इस घटना की चर्चा हुई थी। उन्होंने कहा कि ऐसी परिस्थिति में कोर्ट ने जो न्याय दिया है, उसका वह स्वागत करते हैं।

 

Vijay