रसूखदार लोग ऐसे छीन रहे हैं गरीबों का हक

Sunday, Feb 26, 2017 - 01:21 PM (IST)

नादौन: हमीरपुर के नादौन उपमंडल की 58 पंचायतों के गठन के एक साल बाद भी गरीबी रेखा की सूची से अपात्रों को नहीं हटाया गया है। अपात्रों की इस सूची में कई पंचायत प्रतिनिधि भी डेरा जमाए हुए हैं तथा सूची से नाम कटवाने में आना-कानी कर रहे हैं। गरीबी रेखा में नाम दर्ज करवाने के लिए न्यूनतम मानक 2500 रुपए महीना आय है परंतु मानकों को दरकिनार करते हुए कई पंचायत प्रतिनिधि और रसूखदार लोग राजनीतिक पहुंच के चलते पात्रों का हक छीन रहे हैं। पंचायत प्रतिनिधियों का मासिक मानदेय 3 हजार से ज्यादा है तथा वे मानकों को पूरा नहीं करते हैं। जनता ने जिन प्रतिनिधियों को उनकी आवाज बनाकर चुना था, वे प्रतिनिधि ही कुर्सी पर काबिज होते ही बदल गए तथा लोगों के हितों के लिए काम करने की बजाय स्वयं का भरण पोषण करने में लगे हुए हैं। 


90 प्रतिशत पंचायत प्रतिनिधियों को गरीबी रेखा से किया था बाहर
5 वर्ष पहले पंचायतों के गठन के बाद जिला प्रशासन ने सभी पंचायत प्रतिनिधियों का राजस्व रिकॉर्ड इकट्ठा किया था, जिससे पंचायत प्रतिनिधियों की सही आय और संपत्ति का पता चला था जिसके बाद प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए 90 प्रतिशत पंचायत प्रतिनिधियों को गरीबी रेखा से बाहर कर दिया था। पंचायतों में गरीबी रेखा की सूची के हकदार एक बार फिर प्रशासन से ऐसी कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं। इस सूची के हकदार ऐसे रसूखदार लोगों के आगे बोलने से कतराते हैं और जो कोई हिम्मत करके पंचायत कोरम में आवाज उठाता है उसकी आवाज को दबा दिया जाता है तथा उसकी कोई सुनवाई नहीं होती। व्यवस्था से निराश होकर लोग शोषण सहन कर रहे हैं।